Monday, 28 April 2014

काम से ज्यादा हो, काम का प्रचार!



आप क्या काम करते हो यह लोग कैसे जानेंगे जब तक आप उन्हें बताओगे नहीं …काम तो हम सभी करते है ८ घंटे, १० घंटे, १२ घंटे या १६ घंटे …पर कितने लोग जान पाते हैं, हमारे सहकर्मी, हमारा तात्कालिक वरिष्ठ ..लेकिन जब आप सार्वजनिक जीवन में हो, खासकर अगर राजनीति में हो, तो इसका प्रचार प्रसार तो होना ही चाहिए और यह प्रचार प्रसार समयानुकूल होना चाहिए .
जी हाँ, मैं भाजपा और मोदी जी के बारे में ही लिखने जा रहा हूँ.
मोदी जी गत १४ सालों से गुजरात में लगातार काम कर रहे हैं. शुरुआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा , भूकम्प, तूफ़ान, और दंगे जैसे कई विपरीत परिस्थितियों ने उन्हें निखारा, और आज ११७ साल की पुरानी कांग्रेस के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं, या कहा जाय वे जंग जीत चुके हैं, ऐलान सिर्फ बाकी है…
सी पी एम के बुद्धदेव भट्टाचार्य भी मानने को मजबूर हैं – इस बार भाजपा को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता. जनाब मौका आपको भी मिला था. ज्योति बाबू को भी मिला था. आपने अपना अवसर गंवा दिया. अब ममता दीदी आई है, उन्हें भी अपना काम दिखलाने दीजिये. जन जन में समाने दीजिये. थोड़ा गुस्सा भी दिखने दीजिये….
थोड़ी बात कांग्रेस की भी कर लें मैं यह नहीं कहता कि कांग्रेस ने कुछ नहीं किया … आपने भी बहुत कुछ किया देश के लिए, जनता के लिए पर उससे ज्यादा आपने अपने लिए किया. अपने नेताओं के लिए किया’
पहले राजीव गांधी मानते थे – सरकारी अनुदान की १५% राशि ही जरूरतमंद तक पहुंचती है. राहुल गांधी ने उसे ५% तक पहुंचा दिया और आप सब सत्ता के शीर्ष में बैठकर चुपचाप देखते रहे? आपने समस्याएं पैदा की उनसे निपटने के सही तरीके, सही समय पर नहीं उठाये. जनता महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी, भ्रष्टाचार में पिसती रही और आप गरीबी का पैमाना वातानुकूलित कमरे में बैठकर बनाते रहे. कारण गरीब ही आपके असली मतदाता है. खाते पीते लोग कहाँ मतदान करने जाते हैं ?
पर अब जनता जाग चुकी है ..जनता को जगाने में मीडिया का बहुत बड़ा रोल रहा है ..यह आप की ही देन है न …संचार क्रांति … अब जनता हिशाब मांगने लगी है …अपने द्वारा चुकाए गए कर का हिशाब, …अपने श्रम का हिशाब, …अपनी कर्मठता का हिशाब.
रोड शो आप भी करते रहे… गुलाबों की पंखुरियाँ बिछाते रहे… तब आपको अपनी भव्यता का प्रदर्शन करना था. अब मोदी जी की भव्यता से जलन क्यों? यहाँ तो जन सैलाब उमड़ा था…क्यों? इस जन-सैलाब के मन में मोदी नायक बनकर उभरे हैं. सबके मन में एक आश जगी है, शायद कुछ अच्छा होनेवाला है.. अच्छे दिन आनेवाले हैं …अब आप कहेंगे भाड़े के लोग …अरे साहब! अभीतक यही काम आप भी तो कर रहे थे …अब आपके ही शस्त्र से आपको पराजित किया जा रहा है … कभी ‘इंदिरा इज इण्डिया’ का नारा आपने ही दिया था. अब नमो में इण्डिया और इण्डिया में नमो दीख रहा है …देखिये कम से कम पांच साल देखिये और सकारात्मक विपक्ष का रोल तो निभाइए. टूट-फूट होने का इंतज़ार कीजिये
केजरीवाल साहब, आप के विचार बड़े पवित्र हैं …पर उस पवित्रता का क्या? सिर्फ उनचास दिन! हाफ सेंचुरी भी नहीं … न… जनता ने आपको मौका दिया था …कांग्रेस ने भी आपको साबित करने का मौका दिया था. आप खुद को साबित नहीं कर पाये. अब पश्चाताप कर रहे हैं. आप दिल्ली राज्य की सत्ता सम्हालते हुए बहुत कुछ कर सकते थे, कर भी रहे थे. आपको लोग उकसा रहे थे और आप उछल पड़े …निंदक नियरे राखिये …आप ही तो कहा करते थे. पर आप मीडिया पर भी भड़क गए. दो दिन की लोकप्रियता पा ब्यवस्था परिवर्तन करने पर तुल गए …ब्यवस्था एक दिन में नहीं बदली जा सकती और वह भी सरल तरीके से …पेट भरा हो, शरीर ढंका हो, तो आगे छत की सोचें. छत हो तो आसमान की सोचें …मौन साधना काम आ सकती है, पर जन जन में समाना होगा आर एस एस की तर्ज पर अपनी शाखाएँ हर क्षेत्र में विकसित करनी होगी. निस्वार्थ लोगों को राजनीति में लाने के लिए प्रेरित करना होगा. यह एक दिन में नहीं हो सकता. एक दो साल में भी नहीं …सतत प्रयास करना होगा. छोड़कर भागना नहीं होगा अन्य क्रिया कलापों की तरह …जिसे आप को बीच में छोड़ देने की आदत लग गयी है … आप को जमे रहना होगा असफलता ही सफलता का द्वार दिखलाती है. मोदी जी ने अपने आपको साबित किया है. कुछ तो सबक ले लो मोदी जी से ..एक चायवाला, पिछड़े तबके का ब्यक्ति भी प्रधान मंत्री बनने का सपना देख सकता है …आप भी देख सकते हैं. सपना देखने में कोई हर्ज नहीं. सतत प्रयास तो करने होंगे. कुछ कर के दिखलाना होगा. विपक्ष में रहकर, स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से ही जनता को और मीडिया को आपके काम दिखने चाहिए …ऐसा तरीका भी जिसे लोग देखना चाहेंगे, सुनना चाहेंगे …जुमले, रोचक भाषण, चुटकुले… पल भर के लिए ही लोगों को खुश कर देते हैं…
आप भी गंगा माँ की शरण में हैं. काशीवास कर रहे है. मोदी जी को गंगा माँ ने बुलाया है… आपको कोई आपत्ति …आप अस्सी घाट पर अपनी धूनी रमाइये…तुलसीदास ने भी यहाँ धूनी रमाई थी. बाबा भोलेनाथ की पावन नगरी… सारी पृथ्वी से अलग है. इसकी तासीर अलग है महामना मदन मोहन मालवीय, लाल बहादुर शास्त्री की नगरी है यह …आपको हमारी शुभकामना.
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Sunday, 20 April 2014

आज कोयल फिर बोली है....

आज कोयल फिर बोली है
कर्ण में मिश्री घोली है
शुबह शुबह जब किरणे निकली
कोयल आम्र तरु पर छिप ली
ई कोइली भी भीषण काली
मगर निराली बोली है, आज कोयल फिर बोली है
शुबह शुबह जब मन अलसाये
बिस्तर उपर पसीना छाये
बिना चाय के नींद न टूटे
पत्नी नई नवेली है, आज कोयल फिर बोली है
कर्कश बाणी टी वी लागे,
पक्ष विपक्ष को गोली दागे
मोदी केजरी राहुल लालू
जहर सभी ने घोली है, आज कोयल फिर बोली है.
पुरवाई जब तन में लागी,
सैंया संग गुजरिया भागी
छुप कर प्रीत निभाती पी सँग
आखिर नयी नवेली है,.आज कोयल फिर बोली है
कवि को कोयल खूब छकाती
पत्तों बीच कभी छुप जाती
आम्र मंजरी का रस लेकर
मादकता संग खेली है …आज कोयल फिर बोली है

Monday, 7 April 2014

हम मोदी जी को लाने वाले हैं!

आगामी मंगलवार ८ अप्रैल को राम नवमी है… उत्तर भारत में रामनवमी का त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है. वैसे रामनवमी के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. पर ऐसी मान्यता है कि राम जी को पाने के लिए हनुमान जी की आराधना करनी होती है और पूरे उत्तर भारत में रामनवमी के दिन हनुमान जी का ध्वजारोहण किया जाता है और दूसरे दिन उनकी ध्वजा को पूरे शहर में जुलूश के साथ घुमाया जाता है. जुलूश में नवयुवक और पहलवान किश्म के साहसी लोग विभिन्न प्रकार के साहसिक और हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं. इन करतबों में कभी कभी ज्यादा जोश में खून गर्म हो जाता है, तो कभी अपने ही समुदाय के दूसरे दल(समूह) से भिड़ जाते हैं- मेरा झंडा तेरे झंडे से आगे निकलेगा… मेरा झंडा सबसे लम्बा और बड़ा होगा. इस झंडे के जुलूश में अगर दूसरे धर्म-सम्प्रदाय का धर्मिक स्थल हो, तब तो जोश और भी दूना बढ़ जाता है …ऐसे समय में एक पत्थर भर फेंकने की जरूरत होती है. बस जुलूश बेकाबू हो जाती है और पुलिस वाले घबड़ा कर मामले को रफा-दफा करने का हर संभव प्रयास करते हैं. इसीलिये आजकल हर शहरों में रामनवमी से पहले शांति समिति की बैठक प्रशासन के साथ होती है, जिसमे हर समुदाय के गणमान्य लोगों को शामिल कराया जाता है. कोशिश की जाती है कि रामनवमी का त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो जाय पर अक्सर छिटपुट घटनाएँ हो ही जाती है.
इस साल चुनाव का माहौल है और राजनेताओं द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं … तब किसी प्रकार की अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हर चौक चौराहे पर पुलिस दल चेकिंग के साथ साथ भीड़ को नियंत्रण करने में पहले से ही ब्यस्त है. रामनवमी जुलूश के रिहरसल की शुरुआत हो चुकी है.
आज जिस प्रकार से हर माध्यम से अबकी बार मोदी सरकार का प्रचार किया जा रहा है, सभी सर्वेक्षण मोदी के पक्ष में होते हुए दिखलाये जा रहे हैं, हर हर मोदी, घर घर मोदी, हर तरफ मोदी ही मोदी, कमल और मोदी, मुहर कमल पर लगना है, नए नए नारे और गाने गढ़े जा रहे हैं यथा
हम मोदी जी को लाने वाले हैं, अब नए दिन आने वाले हैं.
‘मैं देश नही झुकने दूंगा.’ मोदी जी का राष्ट्र गान
गुलाबी क्रांति क्या होती है?

मोदी जी की बोटी बोटी करने वाले इमरान मसूद के बयान के बाद वसुंधरा राजे सिंधिया का बयान … यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा कि टुकड़े किसके होते हैं?
हम अपमान का बदला लेकर रहेंगे. इशारा वर्ग विशेष की तरफ – मोदी जी के चाणक्य अमित शाह.
सोनिया के अनुरोध पर जमा मस्जिद के इमाम बुखारी का सेक्युलर वोट वाला बयान और उनके भाई का खंडन.
वातावरण में ऐसे ही गर्मी कम नहीं है, ऊपर से बयान पर बयान और हर टी वी चैनलों के सर्वेक्षण, जिसमे भाजपा की बढ़त और मोदी जी को प्रधान मंत्री के करीब पहुंचते हुए दिखलाना …लगभग सभी मीडिया घराने का सर्वेक्षण एक जैसा ही दीख रहा है …सर्वेक्षण का असर या अपनी हार को प्रत्यक्ष देख अधिकांश कांग्रेसी नेता या तो चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं या कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं. कई क्षेत्रीय पार्टियाँ भाजपा के साथ गठबंधन कर चुकी है. यानी उन सभी को भरोसा हो चला है कि एन डी ए की सरकार बनने वाली है और अच्छे और चालाक राजनेता की पहचान तो यही है न कि सत्ता के साथ रहा जाय. रामविलाश पासवान, करूणानिधि, रामकृपाल यादव और अब तेलगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू … सब कुछ अनुकूल होता दीख रहा है, फिर जहरीले बयान क्यों? विद्वेष फ़ैलाने की कोशिश क्यों?
भाजपा यानी मोदी जी की पार्टी में निवेश करने वाले कॉरपोरेट घराने में होड़ लगी है…. हाँ, यह बात मोदी जी को अवश्य मालूम होना चाहिए यह भी वे सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं … नितीश जी ने अभी हाल ही में ABP के घोषणापत्र कार्यक्रम में कहा था – पहले लोग राजनीतिक पार्टियों को सहयोग करते थे, अब निवेश करते हैं. निवेश का मतलब तो समझते ही हैं न!
वरुण, सावधान! तुम्हारी स्मृति (याददाश्त) कमजोर हो रही है, शायद. तुम धर्मयुद्ध लड़ रहे हो अपने ही भाई से. यहाँ खून के रिश्तों को भूलना होगा .. वह तुम्हारा दुश्मन है, यही याद रखना होगा … जल्दी सफाई दे डालो नहीं तो कब कुदृष्टि पड़ जाय … क्या पता! (खैर, माँ मेनका तो हैं ही) … अभी सिर्फ जंग जीतना है. रिश्ते नाते बाद में … यानी कोई रिश्ता नहीं चलेगा. देखा नहीं माँ बेटे, भाई बहन, दामाद का रिशता कहाँ से कहाँ पहुंचा देता है? हाँ अगर रिश्ता निभाना ही है, तो समाजवादी पार्टी में चले जाओ जहाँ पिता, पुत्र, भाई, बहु, चाचा आदि सभी एक साथ रहते हैं या झारखण्ड में चले जाओ जहाँ, पिता पुत्र और बहू साथ साथ चलते हैं… और बिहार ..अभी नहीं चुनाव बाद देखेंगे…
अरविंद केजरीवाल से बड़ी गलती हो गयी … दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम. पहाड़ से टकराओगे तो चूर चूर हो जाओगे …पिछली बार लोगों ने आप पर भरोसा जताया था, पर आप उनकी अपेक्षाओं पर खड़े नहीं उतरे … टिकट लौटनेवाले भी कुछ चाह लेकर आये थे. उनकी चाह की भरपाई नहीं होने पर वे क्यों अपना घर का आटा भी गीला करेंगे. आपने अन्ना को भुला दिया …अधिकांश नेता के साथ, मीडिया वाले भी आपको बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते … आपका मिशन उतना आसान नहीं है, वक्त लगेगा, घबरा कर बीच में छोड़ना नहीं है, जैसी की आपकी आदत है. मोदी जी ने मिहनत किया है … राजनीति एक दिन, एक साल में नहीं होती. इसके लिए लम्बे समय और संघर्ष की जरूरत है …कब कहाँ और क्या बोलना है, मोदी जी बखूबी जानते हैं, भीड़ जुटाने, उसे बांधे रखने में वे माहिर हैं. मीडिया का भले वे सामना न करते हों, पर मीडिया उनके पीछे पीछे चलती ही रहती है …अब बाबा रामदेव के साथ श्री श्री रविशंकर भी मोदी के समर्थन में आ गए हैं. साम, दाम, दंड, भेद की नीति अगर नहीं सीख सके तो राजनीति क्या ख़ाक करोगे?
देख रहे हो न! मोदी जी कैसे अपने घर के अंदर के और बाहर के विरोधियों के एक एक कर परास्त करते हुए वे एक एक कदम आगे बढ़ाते ही जा रहे हैं. आज हर व्यक्ति देने के बजाय पाना चाहता है. अगर कुछ देकर भी पाया जा सके, तो भी ठीक है. आप निवेश कहाँ करते हैं, जहाँ से अच्छी रिटर्न की आशा रहती है. देखते नहीं कांग्रेस रूपी डूबते जहाज से कैसे लोग छलांग लगाकर नए टाइटेनिक में सवार हो रहे हैं. सभी क्षेत्रीय पार्टियां, राजनीतिक लोग अपने अपने सिद्धांतों को तिलांजलि देकर इस नए जहाज में सवार होने को आतुर हैं.
बस फैसले की घड़ी में और लगभग एक महीने से कुछ ही दिन ज्यादा है. अनुमान कयास लगाये जा रहे हैं … फैसला जनता के हाथ में है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने दस सालों में जनता को और देश को लूटा, भ्रष्टाचार को रोकने का कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया बल्कि उसे बढ़ावा ही दिया ऊपर से कुछ दागियों को इस चुनाव में भी टिकट पकड़ा दिया. माँ बेटे से पार्टी नहीं चल सकती दूसरे दर्जे के नेताओं को भी स्थान देना चाहिए था. महंगाई रोकने का कोई सार्थक कदम नहीं उठाया, अगर उठाया भी तो काफी देर से … जनता बदलाव चाहती है और बदलाव के रूप में मोदी जी का कद सबसे ऊंचा दिख रहा है. इसलिए देश और जनता को इंतज़ार करना होगा और जनता जनार्दन जो फैसला करेगी वही सही होगा. इस देश में इंदिरा गाँधी भी हारी हैं, राजीव गाँधी भी हारे हैं तो अटल बिहारी बाजपेयी की भी हार हुई है. मोदी जी अगर जनता और देश के हित में काम करते हैं तो जनता जरूर उन्हें सर आँखों पर बैठाएगी, वरना… अभी तो वे सिर्फ साठ महीने ही मांग रहे हैं. . अब जबकि भाजपा का घोषणा पत्र जारी हो गया है, अच्छे अच्छे वादे किये गए हैं और विवादास्पद मुद्दों को हासिये पर रक्खा गया है. आज मोदी जी बड़े भावुक नजर आये. उनके ही शब्दों में – “मैं देश की जनता को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि बुरे इरादे(बद इरादे) के साथ काम नहीं करूंगा।” देखा जाय क्या होता है. देश में पहले चरण का मतदान हो गया है और मतदान का प्रतिशत भी बढ़ा है. निश्चित ही यह परिवर्तन की लहर है . आम जनता को अमन चैन के साथ रोजी, रोटी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधा तो चाहिए ही गरीब और पिछड़े तबकों तक भी लाभ पहुँचना चाहिए. इसी आशा के साथ जय श्री राम! जय हनुमान! जय भारत! जय लोकतंत्र!
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.