Tuesday, 4 February 2014

बिछ चुकी है बिसात

चुनावी बिसात बिछ चुकी है, सभी अपनी अपनी गोटियां सजा रहे हैं, या सेट कर रहे हैं. ‘शह’ और ‘मात’ का खेल चलेगा. कुछ दिन या कहें कुछ महीने… कौन जीतेगा, कोई नहीं जानता सबके अपने अपने अनुमान है …परिवर्तन की आंधी है, हवा है, बयार है, कही ब्लोअर से हवा छोड़ी जा रही है, हवा बनाई जा रही है, हवा के रुख को अपने अपने हिशाब से मोड़ना है, अपने अनुकूल बनाना है. कोई कहता है – हमने विकास किया है, कोई कहता है – उसने तो विनाश किया है, हम विकास करेंगे. हमने विकास का रास्ता दिखाया है, मेरा रास्ता या चाल ही सबसे बेहतर है. .
‘उसके’ चक्कर में मत रहो, हमें अनुभव है, वह तो अभी नया है, नवसिखुआ है, अभी उसे सीखने में समय लगेगा, वो बच्चा है, हम सच्चा हैं. कोई धर्म की बात करता है, कोई शर्म की, कोई भाषा की, तो कोई क्षेत्र की, कहीं जातिवाद है, तो कहीं समाजवाद है,… कहीं साम्प्रदायिकता है, तो कहीं धर्मनिरपेक्षता, कहीं भ्रष्टाचार है, तो कही सदाचार, कही घूसखोरी है, तो कहीं बेईमानी … सभी एक दूसरे को बेईमान और खुद को ईमानदार बताने में लगे हैं. जनता को लुभाने में लगे हैं. कोई अगड़ा है, कोई पिछड़ा है, कोई बंगभाषी है तो कोई तमिलभाषी, कोई बिहारी है तो कोई उड़िया, तीसरा मोर्चा, चौथा मोर्चा आदि आदि…
अगर आज हमारा राष्ट्रगान तैयार होता तो निश्चय ही ‘पंजाब सिंध गुजरात मराठा, द्रविड़ उत्कल बंग’ पर नहीं रुकता… कश्मीर से कन्याकुमारी तक और राजस्थान से अरुणाचल प्रदेश तक के सभी राज्यों का नाम देना होता और बीच बीच में नए राज्यों के सृजन के साथ उसमे संशोधन भी करने होते.
नए नए शब्दों का प्रयोग हो रहा है, अमूमन, अराजक, येड़ा, ऐरा गैरा नत्थू खैरा तो पहले से भी प्रचलित था. अब राष्ट्रवादी और राष्ट्र विरोधी, आतंकवादी, अहिंदू, और भी बहुत कुछ… प्रमाण पत्र देनेवाली पार्टियां भी है. कोई कम भ्रष्ट तो कोई ज्यादा भ्रष्ट …जनता को क्या चाहिए? कोई नहीं जानता. सभी अपना अपना प्रचार किये जा रहे हैं करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हैं, काम कुछ नहीं हो रहा है प्रचार ही ज्यादा हो रहा है …हम आएंगे तो दूध की नदियां बहा देंगे, पानी से जहाज चला देंगे, हम मुफ्त बिजली दे देंगे, हम मुफ्त पानी दे देंगे, ईंधन वाली गैस सिलिंडर चाहे जितना ले लो, कोई प्रतिबन्ध नहीं..सस्ते अनाज, मुफ्त अनाज, सस्ता खाना, जनता खाना… जो चाहे ले लो, पर वोट हमें ही देना… गंदी हवा में सांस लेकर जिन्दा रह सको. हम इस काबिल तुझे बना देंगे. और भी बहुत कुछ …
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि विश्वामित्र अपने तपोवल से त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेजना चाहते थे, पर देवराज इंद्र उसे सशरीर स्वर्ग में नहीं आने देना चाह रहे थे. तब विश्वामित्र ने एक अलग से स्वर्ग बना दिया और त्रिशंकु को उसी स्वर्ग में स्थापित कर दिया. कहा तो यह भी जाता है कि उन्होंने नयी सृष्टि की भी रचना शुरू कर दी थी. अनेक तारे और ग्रह उन्ही की देन है…. क्या आज भी ऐसी हठधर्मिता नहीं हो रही है, लालकिला के प्रारूप को छत्तीसगढ़ में और संसद के प्रारूप को झारखण्ड में बनाकर स्वघोषित प्रधानमंत्री को स्थापित करने की. सिंगापूर में गुजरात का दूध, यूरोप में गुजरात की भिन्डी और जर्मनी में गुजरात का टमाटर का प्रचार करनेवाले क्या महर्षि विश्वामित्र से भी आगे निकल जायेंगे.?
अब आइये सुनते हैं ‘आम आदमी पार्टी’ को किसने हक़ दिया बेईमानों और भ्रष्टाचारियों की लिस्ट जारी करने की? क्या अब अपनी ईमानदारी साबित करने के लिए ‘आम आदमी पार्टी’ से प्रमाण पत्र लेना पड़ेगा?
“इस सूची के जारी करते ही देश की राजनीति के जाने-माने विद्वानों के बीच इस बात की बहस छिड़ गई कि केजरीवाल को यह अधिकार किसने दिया? कि वे इन नामों को भ्रष्ट नेताओं (बेईमानों) की सूची में डाल दें। जब विश्व में बड़े-बड़े घरानों की सूची बन सकती है, नामी-गरामी नेताओं की सूची बन सकती है। तो देश को गुमराह करने वाले, देश को लूटने वाले और देश में राजनैतिक अराजकता का संचार करने वाले बेईमान/भ्रष्ट नेताओं की सूची क्यों नहीं बन सकती?”- श्री शम्भु चौधरी के ब्लॉग से
कोई मान हानि का दवा ठोक रहा है, तो कोई माफी मांगने की बात कह रहा है. बीजेपी नेता अनंत कुमार और कांग्रेस सांसद अवतार सिंह भड़ाना ने तो केजरीवाल को कानूनी नोटिस भी भिजवा दिया है, जबकि बड़े बड़े नेता अभी चुप्पी साधे हुए हैं. अब देखना है केजरीवाल क्या करते हैं? क्या जवाब देते हैं? उनके पास भी बड़े बड़े वकील तो हैं ही. और भी कुछ नेता उनपर मानहानि का दावा करनेवाले हैं, पर यह अरविंद केजरीवाल तो जो कुछ भी कहता है ‘डंके की चोट’ पर कहता हैं, जो करना है कर लो, उसे सरकार थोड़े न चलानी है या उसे प्रधान मंत्री थोड़े बनना है. वह तो सिर्फ यही चाहता है कि बदनाम, बेईमान, भ्रष्ट लोग संसद में न आयें. बहुत सारे अच्छे अच्छे लोग, विद्वान लोग, प्रशासक, पत्रकार, समाज सेवी आज विभिन्न पार्टियों का रुख कर रहे हैं. इसी बहाने अच्छे लोगों राजनीति में आने लगे हैं. अगर अच्छे लोग राजनीति में आएंगे, अच्छी अच्छी नीतियां बनाएंगे, तो फायदा भी देश की आम जनता को ही तो होना है. चाहे वह आदमी पार्टी के द्वारा हो या भाजपा के द्वारा. कम से कम राजनीतिक पार्टियाँ भी तो यही चाहेंगी कि अच्छे उम्मीदवार मैदान में उतारें जाएँ ताकि जनता उन्हें चुनकर भेजे और वे जनता की भलाई का काम करें. अगर इसे राजनीतिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. पूर्ण रूप से शुद्ध होने में समय लगेगा, पर शुरुआत तो हुई है. साथ ही अभी भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो चाहते हैं कि राजनीति का शुद्धिकरण हो… जनता भी तो यही चाहती है … सब कुछ मई में साफ़ हो जायेगा तबतक सबको अपनी अपनी चालें चलने दें, मीडिया को भी फूलने फलने दें. एक दूसरे की कलई खोलेंगे तो ‘राज’ की बात जनता के सामने आयेगी ही.
अभी बहुत कुछ सामने आएंगे, मदन लाल, (आप के विधायक) अरुण जेटली. (स्व. प्रमोद महाजन पहले भाजपा के खेवन हार थे आज श्रीमान अरुण जेटली)
स्व. प्रमोद महाजन ने एक टी वी कार्यक्रम में कहा था – जबतक अच्छे लोग राजनीति में नहीं आते राजनीति में गलत लोगों का जमावड़ा बना रहेगा. काश कि आज वे देख पाते – अच्छे लोग भी अब राजनीति का रुख कर रहे हैं. कुछ अच्छे की उम्मीद में. …. जय माँ शारदे
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मन्त्र नव भारत में भर दे!
वर दे वीणा वादिनी वर दे!
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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