Sunday, 5 May 2019

फनी तूफ़ान : प्राकृतिक आपदा और इंसान


यूं तो प्राकृतिक आपदा के सामने हम हमेशा से बौने साबित होते रहे हैं. प्रकृति से हम हमेशा लड़ते भी रहे हैं कभी हमने उसे अपने अनुकूल बनाया है तो कभी एक क्षण में हमारे सब किये कराये पर पानी फेर देता है. वैसे प्रकृति और मनुष्य के साथ अन्य जीव जंतुओं का पुराना नाता रहा है और आगे भी रहेगा. वैसे तो समुद्री किनारों पर तूफ़ान आटे ही रहते हैं, कुछ कम खतरनाक होते है कुछ भयंकर होते है. २६ दिसंबर २०१४ को इंडोनेसिया में जो सुनामी आई थी उससे भारत सहित कई देशों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था. यह सुनामी भूकंप के कारण आई थी जिसका तब कोई पूर्व अंदाजा नहीं था. उस समय 10 से १५ हजार लोगों की मौत भी हुई थी और भयंकर तबाही का मंजर देखना पड़ा था. इस बार फनी के बारे में मौसम विभाग ने पूर्व अनुमान लगा लिया था, इसलिए काफी लोगों की जान बचाई जा सकी. इसके लिए, स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार के साथ ताल-मेल के अलावा NDRF, नेवी के जवान, और अन्य सामजिक और राजनीतिक संस्थाएं धन्यवाद के पात्र हैं. हालाँकि उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश को तबाह करता हुआ यह तूफ़ान बंगाल सहित  पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुँच गया है. झाद्खन में भी इसका असर देखा गया पर पूर्व सूचना और सावधानी से कम से कम नुकसान झेलना पड़ा. इसे सतर्कता और पूर्व तैयारी की उपलब्धि भी मान सकते हैं. भारत के इस सफल प्रयास की सराहना यूनाइटेड नेशन ने भी की है. अब हम भी दूसरे विकसित देशों की श्रेणी में आ गए हैं, ऐसा भी कह सकते हैं.
चक्रवाती तूफान 'फनी' को लेकर झारखंड के कई जिलों में हाई अलर्ट की घोषणा की गयी थी. आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्‍त सचिव मनीष कुमार ने प्रभावित जिले के उपायुक्‍त और विभिन्‍न विभागों के सचिव को पत्र भेजकर चक्रवात से अलर्ट किया था. पत्र में बताया गया था कि झारखंड के कई जिलों में तीन मई को शाम 5:30 बजे से 4 मई शाम 5:30 बजे तक चक्रवाती तूफान का असर रहेगा. कहा गया था कि पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, रांची, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, देवघर, जामताड़ा, दुमका, साहेबगंज, पाकुड़ और गोड्डा जिले में इस च‍क्रवाती तूफान का असर रहेगा. इस जिलों में आपदा प्रबंधन की टीम को सतर्क कर दिया गया था. साथ ही तीन और चार मई को सभी सरकारी और प्राइवेट स्‍कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया गया था. झाड़खंड में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और अब जनजीवन सामान्य हो चला है.
फानी तूफान से भुवनेश्वर शहर के अंदर कई प्रमुख बिल्डिंगों को भी नुकसान पहुंचा. इस तूफान में  10 लोगों की मौत हो गई और करीब 160 लोग घायल हुए. फानी के खतरे को ध्यान में रखते हुए ओडिशा में करीब 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था. भुवनेश्वर से सभी उड़ानें रद्द कर दी गई थी. वहीं रेलवे ने 200 से ज्यादा ट्रेनें रद्द कर दी थी. अब धीरे धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं.
ओडिशा के पुरी में तबाही मचाने के बाद अब तूफान फनी बंगाल में भी कुछ नुकसान पहुँचाया है, और पूर्वोत्तर की तरफ बढ़ा. जिसके चलते यहां तेज हवाओं के साथ बारिश हुई. तेज हवाओं से कई जगह पेड़ गिरने की भी खबर है. फिलहाल किसी भी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं हैं. और अब मौसम विभाग के प्रमुख ने कहा- भारत में फानी चक्रवातीय तूफान कमजोर हो गया है.
चक्रवातीय तूफान फानी के समुद्री तट से टकराने से पूर्व, ONGC ने बंगाल की खाड़ी में स्थित अपने साइट से लगभग 500 स्टाफ को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया था. PM मोदी ने दिल्ली में फानी तूफान की तैयारियों का जायजा लेने के लिए हाई लेवल बैठक की. मीटिंग में कैबिनेट सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी मौजूद रहे. साथ ही मौसम विभाग, NDRF के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए.
तू'फानी' खतराः कैबिनेट सचिव ने की तैयारियों की समीक्षा
कैबिनेट सचिव पी.के. सिन्हा ने चक्रवाती तूफान "फानी" से पैदा होने वाले हालातों से निपटने के लिए संबंधित राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों और एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा कर ली थी. आगे भी नुकसान के साथ पुनर्वास की समीक्षा और क्रियान्वयन जारी रहेगा ही.
राज्य और केंद्रीय एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए, कैबिनेट सचिव ने निर्देश दिया कि चक्रवाती तूफान के रास्ते में आने वाले क्षेत्रों से लोगों को निकालने और उनके भोजन, पीने के पानी और दवाओं आदि की पर्याप्त मात्रा में आवश्यक आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएं. ओडिशा सरकार के अनुसार लगभग 900 साइक्लोन शेल्टर तैयार किए गए हैं, और आपातकालीन भोजन वितरण के लिए राज्य में दो हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है. कैबिनेट सचिव ने रक्षा मंत्रालय को ओडिशा सरकार की आवश्यकताओं को पूरा करने का निर्देश दिया है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने भी कहा था, “हम चक्रवात के लिए तैयार हैं. विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसेना कमान तैयार है, सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं. आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्य के बीच समन्वय के साथ हम चक्रवात की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. .... और उन्होंने और उनकी टीम ने तन-मन से काम किया.
इस तरह प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, आगे भी आती रहेंगी, पर विपत्ति में धैर्य नहीं खोना चाहिए, सरकार और प्रशासन के आदेशों का पालन करना चाहिए. हर प्रकार के नुकसान की पूरी भरपाई कभी संभव नहीं हो सकती. हमें पुन: अपने काम में जुट जाना चाहिए, और ईश्वर के साथ सरकार का भी धन्यवाद व्यक्त करना चाहिए कि हम सुरक्षित हैं. परीक्षाएं, प्रतियोगितायें, चुनाव प्रचार एवं अन्य जरूरी काम फिर हो जायेंगे. बस यही कहना चाहिए – जान बची तो लाखो पाए. जिन्दगी हमें जीना सिखाती है और हर प्रकार के खतरों से जूझना सिखाती है. सोचिए, NDRF, सेना और पुलिस प्रशासन की टीम के बारे में जो हर खतरों से खेलकर हमारी जान माल की रक्षा करते हैं. आज की तकनीक, मौसम विभाग की सही भविष्यवाणी और सूचना तंत्र भी बहुत हद तक सहायक हुए हैं, ऐसी आपदाओं से निपटने में. तूफ़ान की भयंकरता के बारे में क्या कहा जाय, झोपड़ियों की कौन कहे, भवन निर्माण में लगे बड़े बड़े क्रेन भी धराशायी हो गए. भुवनेश्वर का रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा को भी काफी नुकसान हुआ है. अच्छी बात यही हुई है कि इस बार काफी लोगों की जान बचाई जा सकी. प्रकृति से हम हैं और प्रकृति का दोहन भी हम दिन रात कर रहे हैं. हमें एक प्रकृति की रक्षा करनी ही होगी, ताकि वह हमें मदद देती रहे. अक्सर हमारा देश कभी भयंकर सूखा, अतिबृष्टि, अनाबृष्टि, बाढ़-सुखाड़, तो कभी भूकंप आदि के झटके झेलता रहता है. हम सबको मिलकर प्रकृति की रक्षा करनी ही होगी. पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश इन पंचभूतों के बारे में आदिकाल से बताया जाता रहा है. हम सब इनकी पूजा भी करते हैं. असली पूजा वही होगी, जब हम प्रकृति का सदुपयोग करेंगे, अतिदोहन करेंगे. इनकी रक्षा करेंगे ताकि भविष्य में भी हमारे उपयोग के लायक रहे.
वेदों का उद्घोष है अथर्ववेद में कहा गया है कि 'माता भूमि':, पुत्रो अहं पृथिव्या:। ... यजुर्वेद में भी कहा गया है- नमो मात्रे पृथिव्ये, नमो मात्रे पृथिव्या:। ... ऐसा नहीं है कि हमारे पूर्वज पृथ्वी के प्रति मात्र अंधश्रद्धा ही रखते थे, बल्कि धरती से मिलने वाली तमाम सुविधाओं के बारे में भी उन्हें भरपूर जानकारी थी… हमें भी है पर हम आजकल पृथ्वी को बचने का बहुत कम प्रयास कर रहे हैं.  
बस दृढ़ संकल्प, और जागरूकता की जरूरत है, हम सबकुछ कर सकते हैं.  
-      --जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.