कांग्रेस की झारखंड इकाई का नया अध्यक्ष डॉ अजय कुमार को
बनाया गया है. अजय कुमार इससे पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता की
भूमिका में थे. राजनीति में एक दशक भी नहीं पूरा करने वाले अजय कुमार को कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष के
रूप में बड़ी जिम्मेवारी सौंपी है, जहां उन्हें पार्टी को राज्य में सक्रिय क्षेत्रीय दलों के
सहयोगी दल की भूमिका से विपक्ष की राजनीति के केंद्र में लाने के लिए जूझना होगा.
अजय कुमार ने यूं तो अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत बाबूलाल
मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से शुरू की थी और इसके टिकट पर जमशेदपुर से 2011 में सांसद चुने
गये थे. बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गये. कांग्रेस में सक्रिय रहते हुए
उन्होंने भाजपा में जाने की अटकलों पर अपने अंदाज में यह बयान देकर विराम लगाया था
कि उसका डीएनए मेरे डीएनए से मिलता नहीं है, इसलिए ऐसा कभी हो
नहीं सकता.
अजय कुमार 2010 से 2014 तक झाविमो में और फिर 2014 से कांग्रेस में
सक्रिय हैं. 55 वर्षीय अजय
कुमार का जन्म कर्नाटक के मंगलोर में अजय कुमार भंडारी के रूप में हुआ था और
उन्होंने हैदराबाद से स्कूलिंग की और पुड्डूचेरी के जवाहर लाल इंस्टीट्यूट से 1985 में मेडिकल की
पढाई पूरी की. अगले ही साल 1986 में वे आइपीएस के लिए चुने गये. अजय कुमार के एस भंडारी
एवं श्रीमती वत्सला के पुत्र हैं.
एमबीबीएस डॉक्टर अजय कुमार भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व
अधिकारी भी रह चुके हैं और आइपीएस अधिकारी के रूप में वह बिहार एवं झारखंड में काम
कर चुके हैं. वह 1994 से 1996 तक जमशेदपुर के एसपी के पद पर भी कार्य कर चुके हैं.
कर्नाटक के मूलवासी अजय कुमार ने आइपीएस से इस्तीफा देने के
बाद कुछ समय तक कॉरपोरेट जगत में काम किया और फिर राजनीति में शामिल हुए. वह
बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली झाविमो के टिकट पर 2011 में जमशेदपुर से
लोस के लिए चुने गये थे.
एक आइपीएस के रूप में अजय कुमार ने शानदार कामकाज
किया. एकीकृत बिहार के दो प्रमुख शहरों पटना एवं जमशेदपुर में प्रमुख रूप से वे
तैनात रहे और अपराध को जबरदस्त ढंग से काबू में किया. जमशेदपुर में जब अपराध काफी
बढ़ गया था तब टाटा स्टील के एमडी जेजे ईरानी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद
यादव से इसे नियंत्रित करने के लिए एक प्रभावशाली अधिकारी की तैनाती का आग्रह
किया. लालू ने उनके आग्रह पर पटना के सिटी एसपी अजय कुमार को जमशेदपुर का एसपी
बनाकर भेजा और कम ही समय में उन्होंने वहां अपराध को नियंत्रित कर लिया.
एसपी के रूप में अजय कुमार के शानदार कामकाज का असर था कि 2011 के जमशेदपुर उपचुनाव में वे डेढ़ लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीत गये. जमशेदपुर उनके जीवन में खास जगह रखता है. हालांकि 2014 के आमचुनाव में मोदी लहर में वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जमशेदपुर से हार गये, लेकिन पार्टी हाईकमान को उनकी संभावनाओं का अहसास था. वे पार्टी के लिए शानदार व तार्किक ढंग से अपनी बात रखने वाले चेहरे के रूप में उभरे और सोनिया-राहुल का उन पर विश्वास बढ़ता गया. अब अजय कुमार को एक डॉक्टर के रूप में पार्टी संगठन की सर्जरी करनी होगी और आइपीएस के रूप में विरोधी दलों के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तियार करना होगा.
एसपी के रूप में अजय कुमार के शानदार कामकाज का असर था कि 2011 के जमशेदपुर उपचुनाव में वे डेढ़ लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीत गये. जमशेदपुर उनके जीवन में खास जगह रखता है. हालांकि 2014 के आमचुनाव में मोदी लहर में वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जमशेदपुर से हार गये, लेकिन पार्टी हाईकमान को उनकी संभावनाओं का अहसास था. वे पार्टी के लिए शानदार व तार्किक ढंग से अपनी बात रखने वाले चेहरे के रूप में उभरे और सोनिया-राहुल का उन पर विश्वास बढ़ता गया. अब अजय कुमार को एक डॉक्टर के रूप में पार्टी संगठन की सर्जरी करनी होगी और आइपीएस के रूप में विरोधी दलों के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तियार करना होगा.
जमशेदपुर में एसपी रहे अजय
कुमार ने यहां आने के बाद जैसे ही अपराधियों के एनकाउंटर करने शुरू किए, उनमें दहशत फैल गई. उस समय का बड़ा डॉन माना जाने वाला हिदायत
खान शहर छोड़ कर भाग गया. गरम लाला गिरोह से उसकी खूनी अदावत चलती थी. दोनों गिरोह
में अक्सर गैंगवार होते रहता था. अजय कुमार के दहशत के आगे गरम लाला गिरोह के भी
कई सदस्य अंडरग्राउंड हो गए. कईयों को अजय कुमार ने एनकाउंटर में मार गिराया.
जानकारों के मुताबिक एसपी अजय ने लगभग 15 से अधिक एनकाउंटर
किए. उसके बाद उनके ऊपर भी राजनीतिक दबाव पड़ा और उन्होंने पुलिस की नौकरी से
इस्तीफ़ा दे दिया. बताया जाता है कि अपने सब ऑर्डिनेट्स की ड्यूटी और ईमानदारी को
लेकर अजय कुमार का बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद से विवाद हो गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा
देकर वे टाटा मोटर्स में सीनियर एक्जीक्यूटिव बने. फिर पूर्व सीएम बाबूलाल
मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा
प्रजातांत्रिक में शामिल हो गए.
2011 में झाविमो प्रजातांत्रिक के टिकट पर
ही जमशेदपुर से लोकसभा का उपचुनाव लड़े और भाजपा के दिनेशानंद गोस्वामी को डेढ़ लाख
से अधिक वोटों से हरा दिया. 23 अगस्त 2014 को कांग्रेस में शामिल हो गए. इसके
बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए.
हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय कुमार को
भाजपा के विद्युत वरण महतो ने मोदी लहर में लगभग एक लाख वोटों के अंतर से हरा दिया.
अजय कुमार पटना के सिटी एसपी रह
चुके हैं. पटना में भी उनके नाम का बदमाशों में खौफ था. इसी कारण उन्हें जमशेदपुर
भेजा गया. उन दिनों जमशेदपुर में अपराधियों के कई गैंग बन गए थे. सरेआम अपराधियों
ने मर्डर, रंगदारी और अपहरण जैसी घटनाओं को
अंजाम देना शुरू कर दिया था. आम लोग दहशत में थे. कारोबारियों का घर से निकलना
मुश्किल हो गया था. इसी कारण तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद से टाटा स्टील के एमडी ने
विशेष आग्रह किया. इसके बाद अजय कुमार ने दो वर्ष में बतौर जमशेदपुर एसपी वहां
कानून का राज लाया. उनके डर से अधिकतर अपराधियों ने शहर छोड़ दिया. जो रह गए वे
एनकाउंटर में मारे गए.
एसपी
रहते घोड़े पर निकलते थे, कई
बच्चों का नाम रखा गया अजय
अजय कुमार घोड़े पर भी निकला
करते थे. देर रात तक वो सड़कों पर होते. उनका नाम सुनते ही अपराधियों की रूह कांपने
लगती थी. कहा जाता है कि उस समय जितने बेटे पैदा हुए उनमें से अधिकतर के माता-पिता
ने उनका नाम अजय रखा. जमशेदपुर के लोग आज भी अजय कुमार को बड़ी ही इज्जत के साथ याद
करते हैं. कई लोगों के लिए आज भी वो हीरो हैं.
पुलिस
मेडल पाने वाले यंगेस्ट आईपीएस आफिसर
अजय कुमार प्रेसिडेंट पुलिस
मेडल पाने वाले यंगेस्ट आईपीएस आफिसर रहे हैं. उन्हें प्रोबेशन के दौरान ही
गैलेंट्री के लिए यह अवार्ड मिला था. इसके अलावा अजय कुमार संतोष एंड डूरंड ट्रॉफी
के नेशनल लेवल के प्लेयर रह चुके हैं. उनके पास पर्सनल पायलट लाइसेंस भी है.
अजय ने 1985 में पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट
ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से एमबीबीएस की डिग्री ली है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि डॉ. अजय कुमार बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं.
सबसे बढ़कर उनकी छवि एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर की रही है. प्रखर व्यक्तित्व के कारण
वे एक हीरो जैसे दीखते थे. उस समय हमलोग सुनते थे - वे प्रति दिन सुबह जे. आर. डी.
स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में व्यायाम करने आते थे और बड़े बड़े गुंडों के हाथ में
पिस्तौल थमाकर उसका एनकाउंटर कर देते थे. भीड़ भाड़ को नियंत्रण करने में भी उनका कुशल
नेतृत्व कारगर होता था. कई सामाजिक गतिविधियों में भी वे मुख्य अतिथि की भूमिका
निभाते थे और युवाओं के आदर्श बन जाते थे. वे बहुत कम और संक्षिप्त बोलते थे, पर
कुशल वक्तव्य से लोगों को खुश कर लेते थे. वे आज भी जमशेदपुर वासियों के चहेते
हैं. कांग्रेस में वे एक काबिल नेता के रूप में हैं. वैसे भी फिलहाल कांग्रेस में
काबिल नेताओं की कमी है. इसीलिए उनसे जनता को भी उम्मीदें हैं. हम सब उनके सफल
भविष्य की कामना करते हैं. सफल लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष की भी आवश्यकता
होती है जिसकी आज बेहद ही कमी महसूस की जा रही है. जय भारत ! जय लोकतंत्र! जय
हिन्द!
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर