Saturday, 26 August 2017

‘राम’ का नाम बदनाम न करो

पहले आशाराम, फिर रामपाल, उसके बाद रामवृक्ष, और अब राम रहीम ये सभी धर्मगुरु से अपना साम्राज्य विकसित कर चुके, अब अपराधी करार हो चुके हैं. इनमे रामवृक्ष तो मुठभेड़ में मारा गया बाकी अपराधी सजा भुगत रहे हैं. ‘राम सिंह’ नाम का ही ड्राइवर ‘निर्भया काण्ड’ का मुख्य अभियुक्त था जो जेल में आत्महत्या कर चुका है. पर फिलहाल चर्चा में है गुरमीत सिंह राम रहीम इंशा. निस्संदेह यह प्रतिभासंपन्न व्यक्ति है और कई प्रतिभाओं में यह ख्याति भी बटोर चुका है. पर कहते हैं न- प्रभुता पाई काह मद नाही – और अंतत: यही मद ने इस राम रहीम को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.    
फिलहाल यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख राम रहीम के दोषी करार दिए जाने के बाद हिंसा से हरियाणा-पंजाब में तनाव बरकरार है. इस बीच हरियाणा के डीजीपी बी एस संधू ने बताया कि 28 अगस्‍त को राम रहीम को कोर्ट न ले जाकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनायी जाएगी. यह फैसला हरियाणा में हुई हिंसा को देखते हुए लिया गया है.
सिरसा के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) परमजीत सिंह चहल ने कहा है कि सेना को डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय में प्रवेश का आदेश नहीं दिया गया है वहीं गुरमीत राम रहीम के नाराज अनुयायी परिसर में जमे हुए हैं. हरियाणा के मुख्य सचिव डी एस ढेसी ने भी डेरा मुख्यालय के भीतर सेना के प्रवेश से इंकार करते हुए बताया कि हिंसा में मारे गए सभी लोग डेरा समर्थक हैं और अब तक 524 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मुख्य सचिव ने कहा, कल के ऑपरेशन के दौरान पंचकुला कोर्ट से कुछ दूरी पर डेरा समर्थक की गाडी से एक AK-47 एक माउजर, दूसरी गाडी से 1 पिस्तौल और पांच राइफल बरामद की गई है.
ढेसी ने बाबा को वीआइपी ट्रीटमेंट और एसी की सुविधाएं देने को अफवाह बताया. ढेसी के मुताबिक अदालत का फैसला आते ही बाबा की जेड प्लस सुरक्षा खत्म हो गई थी. पहले डेरा प्रमुख को सड़क मार्ग से ले जाना चाहते थे, लेकिन हिंसा के चलते उन्हें हेलीकॉप्टर से ले जाया गया. इसका खर्च हरियाणा सरकार ने दिया. हिंसा में मारे गए सभी लोग बाहर से हैं और डेरा प्रमुख के समर्थक हैं.
डेरा हिंसा पर हरियाणा के एएसजी सत्‍यपाल जैन ने अपने बयान में कहा कि केवल पंचकुला में 28 लोगों की मौत हो गयी. वहीं हाईकोर्ट ने डेरा की संपत्‍ति का ब्‍यौरा मंगलवार तक सौंपने का निर्देश दिया है. हरियाणा के डी जी ने आश्वासन दिया है कि स्थिति नियंत्रण में है. दूसरी ओर राम  रहीम के 6 सुरक्षागार्ड समेत दो डेरा समर्थकों पर भी देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है. खबर के अनुसार, फिलहाल मुख्‍यालय में एक से डेढ़ हजार समर्थक मौजूद हैं और उनके पास लाठियां व पत्‍थर होने की खबर है. हालांकि डीजीपी ने बताया कि परसों रात तक समर्थकों के पास किसी प्रकार के हथियार नहीं थे. बता दें कि शुक्रवार देर रात सेना ने डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय को घेर लिया था.
दूसरे इलाकों में भी डेरा सील किए जा रहे हैं. जिला प्रशासन व पुलिस ने कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर, कैथल, समेत 36 डेरों को सील कर दिया है. उमरी गांव का डेरा खाली कराया जा रहा है. दूसरी ओर कल की हिंसा को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गयी है. शुक्रवार से जारी बवाल पर केंद्र सरकार भी निगरानी कर रही है. पंचकूला और आसपास के इलाकों में हुई हिंसा में अब तक कम से कम 32 लोगों की जान जा चुकी है. राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद उनके समर्थकों ने जमकर हिंसा मचाई थी.
पंचकुला के हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा-144 लगाई गई है. पंजाब के फरीद कोट, बरनाला, पटियाला समेत 10 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है. फिलहाल, पंचकुला में सेना तैनात है और हिंसा की कोई खबर नहीं आ रही है. डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों की हिंसा रोकने में असफल रहने पर हरियाणा सरकार ने शनिवार को जिले के पुलिस उपायुक्त को निलंबित कर दिया. आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि पंचकुला के पुलिस उपायुक्त अशोक कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार डेरे में 32 हजार से ज्यादा लोग हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चे हैं. महिलाओं व बच्चों को बाहर निकालना बड़ी चुनौती है. डेरे के चारों तरफ सेना लगा दी गई है और सेना ने पूरी तरह से नाकेबंदी कर दी है. रात में डेरे से कम से कम 5000 लोग घरों को लौटे हैं. अधिकारियों के अनुसार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अब सिरसा में पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध है.
शहर से बाहर की तरफ मौजूद डेरा दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इसमें पुराना डेरा और उससे करीब पांच किलोमीटर दूर नया व बड़ा डेरा बनाया गया है. फोर्स ने अभी पुराने डेरे से पहले नाका लगाया हुआ है. एक तरफ से पहले नाकाबंदी है तो बाकी तीन तरफ से डेरे को फोर्स घेरेगी. इसमें आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स लगाई है, ताकि कोई व्यक्ति पीछे से न भाग सके. पुलिस डेरे को टेकओवर करने की मुनादी करवा रही है. डेरे में मौजूद लोगों को प्रशासन की तरफ से लोगों को निकालने के लिए साधन उपलब्ध करवाने और उनको निकालने के लिए कहा जा रहा है.
डेरा एक नजर में - क्षेत्रफल : करीब 900 एकड़ - सत्संग घर : करीब दस एकड़ - दीवार : दो से ढाई फुट मोटी है - ऊंचाई : करीब 15 फीट. कई जगह तीस से चालीस फुट. - लंबाई : पांच किलोमीटर में - आवासीय कॉलोनी करीब तीन एकड़ में
शुक्रवार को पंचकूला में सीबीआई जज जगदीप सिंह ने डेरा के प्रमुख राम रहीम को बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया था. डेरा प्रमुख को वर्ष 2002 में लिखी गई एक लिखित शिकायत के आधार पर दोषी करार दिया गया. इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उसने दो साध्वियों का यौन उत्पीड़न किया. इस मामले में राम रहीम के खिलाफ 28 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी. (यह आलेख शनिवार २६.०८.१७ को लिखा गया है)
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्‍कार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनके समर्थकों के उपद्रव पर हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट ने हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार का जमकर फटकार लगाई. हाई कोर्ट ने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सरकार ने पंचकूला को जलने के लिए छोड़ दिया. फुल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हालात के सामने सरकार ने सरेंडर कर दिया. इसी के साथ हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी डांट पिलाई और प्रधानमंत्री के बारे में कहा, 'वह देश के प्रधानमंत्री हैं, न कि बीजेपी के.' कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब केंद्र सरकार के वकील ने यह कहा कि कल की हिंसा राज्य का विषय है. इस पर कोर्ट ने कहा, क्या हरियाणा, भारत का हिस्सा नहीं है? पंजाब और हरियाणा के साथ सौतेले बच्चे की तरह बर्ताव क्यों किया जा रहा है?
हाई कोर्ट की टिप्पणी गंभीर है पर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार किसी न किसी रूप में राम रहीम से उपकृत रही है इसीलिए शुरुआत में ढिलाई बार्ट रही थी. अब कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद स्थिति को सम्हालने की हर संभव कोशिश कर रही है. अगर यह लापरवाही किसी गैर भाजपा सरकार से होती तो केंद्र सरकार और भाजपा नेता आसमान सिर पर उठा लेते. फिलहाल सभी मुख्य नेता चुप्पी साधे हुए हैं सिर्फ साक्षी महाराज ने राम रहीम को सीधे सादा बाबा कहा और उसकी तरफदारी की. ऐसे बलात्कारी और हत्यारे व्यक्ति को कोर्ट सख्त से सख्त सजा दे ताकि एक नजीर बन सके और दूसरे इस प्रकार की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे. जय श्री राम!

– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

Sunday, 20 August 2017

कब रुकेंगी ट्रेन दुर्घटनाएं!

सोशल मीडिया पर रविवार को मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे के बाद तेजी से फैली दो रेलवे कर्मचारियों की टेलीफोन पर हुई बातचीत में शनिवार को उत्तर प्रदेश में हुई ट्रेन दुर्घटना में 'लापरवाही' के संकेत मिले हैं. इस क्लिप में एक रेलवे कर्मचारी को स्पष्ट रूप से यह कहते सुना जा रहा है, "रेलवे ट्रैक के एक भाग पर वेल्डिंग का काम चल रहा था. लेकिन मजदूरों ने ट्रैक के टुकड़े को जोड़ा नहीं और इसे ढीला छोड़ दिया. क्रासिंग के पास गेट बंद था. ट्रैक का एक टुकड़ा लगाया नहीं जा सका था और जब उत्कल एक्सप्रेस पहुंची तो इसके 14 कोच पटरी से उतर गए."
ऑडियो क्लिप में उसे यह कहते सुना जा रहा है, "जिस लाइन पर काम चल रहा था, न तो उसे ठीक किया गया और न ही कोई झंडा या साइनबोर्ड (रोकने के संकेत के तौर पर) लगाया गया. यह दुर्घटना लापरवाही की वजह से हुई. ऐसा लगता है कि सभी (संबंधित कर्मचारी) निलंबित होंगे." इस पर दूसरे ने जवाब दिया दिया कि जूनियर इंजीनियर व दूसरे अधिकारियों सहित सभी के खिलाफ कार्रवाई की संभावना है. दोनों एक दूसरे से यह भी बताते हैं कि मजदूरों ने अपना काम समाप्त करने के बाद कुछ उपकरण ट्रैक के बीच में छोड़ दिया था. कम से कम वे मशीन को हटा सकते थे और एक लाल झंडा वहां लगा सकते थे, रेलवे बोर्ड के अधिकारी मोहम्मद जमशेद ने संवाददाताओं से कहा, "हमें मीडिया से दो रेलवे कर्मचारियों के बीच बातचीत का पता चला है. इसमें कहा गया है कि ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना लापरवाही की वजह से हुई. हम क्लिप की प्रमाणिकता की जांच करेंगे."
इस पर खतौली स्‍टेशन के सुपरिटेंडेंट राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमको किसी ट्रैक रिपेयर की जानकारी नहीं थी. अगर कोई रिपेयर का काम होगा तो वो इंजीनियरिंग विभाग को पता होगा, हमको जानकारी नहीं थी. हमारी ओर से कोई गलती नहीं हुई, कोई सिग्‍नल गलत नहीं दिया गया. इसके उलट मुजफ्फरनगर इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि ट्रैक पर निश्चित रूप से काम चल रहा था. स्टेशन को बताया गया था कि ट्रैक असुरक्षित है. Blued जॉइंट की प्लेट क्रैक थी. उसको ठीक करने के लिए 20 मिनट का ब्लॉक मांगा गया था यानी 20 मिनट तक कोई ट्रेन वहां से ना गुज़रे ये मांग की गई थी. यह दो जिम्मेदार लोगों के बीच संवादहीनता की स्थिति भी हो सकती है या एक दूसरे पर आरोप मढ़ने की कोशिश. जांच में सबकुछ अवश्य स्पष्ट होने चाहिए.  रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्रेन हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. रविवार २० अगस्त की शाम तक प्राप्त समाचार के अनुसार इस हादसे में रेलवे के कई कर्मचारियों, अधि‍कारियों पर गाज गिरी है. उत्तर रेलवे ने सीनियर डिविजनल इंजीनियर और उनके मातहत काम करने वाले तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. शुरुआती जांच के बाद नॉर्दन रेलवे के जनरल मैनेजर ने जिन कर्मचारियों को सस्पेंड किया है, उनमें दिल्ली डिवीजन के सीनियर डिविजनल रेलवे इंजीनियर आरके वर्मा, दिल्ली डिवीजन मेरठ के असिस्टेंट इंजीनियर रोहित कुमार, मुजफ्फरनगर के सीनियर सेक्शन इंजीनियर इंदरजीत सिंह और खतौली के जूनियर इंजीनियर प्रदीप कुमार शामिल हैं.  इनके अलावा उत्तर रेलवे के चीफ ट्रैक इंजीनियर का ट्रांसफर कर दिया गया है. डीआरएम दिल्ली और जीएम उत्तर रेलवे को छुट्टी पर भेज दिया गया है. इसी तरह रेलवे बोर्ड के सदस्य, इंजीनियरिंग को भी छुट्टी पर भेज दिया गया है.
मोदी सरकार आने के बाद से यह 8 वां बड़ा ट्रेन हादसा है. इस दुर्घटना के साथ ही रेलवे सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. 
1-
मुजफ्फनगर में ट्रेन पटरी से उतरी : खतौली के पास हुई दुर्घटना में अब तक 32 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि 200 यात्री घायल हैं. पहले इस घटना के पीछे आतंकी साजिश की आशंका जताई जा रही थी. लेकिन चश्मदीदों के मुताबिक यह रेलवे विभाग की लापरवाही का नतीजा है. फिलहाल इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ साफ तौर पर कहा जा सकेगा.
2-
पुखरायां के पास हुई दुर्घटना : पिछले साल 20 नवंबर को कानपुर के पास पुखरायां में रेल हादसा हुआ था जिसमें 150 लोगों की मौत हो गई थी और 200 घायल हुए थे.
3-
भदोही ट्रेन दुर्घटना : पिछले साल 25 जुलाई को भदोही में मडुआडीह-इलाहाबाद पैसेंजर ट्रेन से एक स्कूल वैन टकरा गई थी जिसमें 7 बच्चों की जान चली गई थी.
4-
बछरावां रेल हादसा : 20 मार्च 2015 को देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी. इस दुर्घटना में 34 लोग मारे गए थे.  यह घटना बछरावां रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर पर हुआ थी.
5-
मुरी एक्सप्रेस हुई हादसे का शिकार : साल 2015 में कौशांबी जिले के सिराथू रेलवे स्टेशन के पास मुरी एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हो गई थी. इसमें 25 यात्री मारे गए थे और 300 घायल हो गए थे. 
6- 10
मिनट के अंदर दो हादसे : साल 2015 में मध्य प्रदेश के हरदा के पास 10 मिनट के अंदर दो ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गईं. इटारसी-मुंबई रेलवे ट्रैक पर  मुंबई-वाराणसी कामायनी एक्सप्रेस और पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गईं. पटरी धंसने से यह हादसा हुआ था. इस  दुर्घटना में 31 मौतें हुई थीं.
 7-
गोरखधाम एक्सप्रेस भी हुई हादसे का शिकार : 26 मई 2014 को संत कबीर नगर के चुरेन रेलवे स्टेशन के पास गोरखधाम एक्सप्रेस और मालगाड़ी में भिड़ंत हुई थी. इस दुर्घटना में 22 लोगों की मौत हुई थी.
8-
रायगढ़ में पटरी से उतरीं बोगियां : 2014 में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में ट्रेन का इंजन और 6 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. इस हादसे में 20 लोगों की मौत हुई थी और 124 घायल हो गए थे.
ऐसे में हाल के वर्षों में बढ़े ट्रेन हादसों के बाद रेल सफर को लेकर मन में उठने लगे ये सवाल... ऐसी दुर्घटनाएं हो क्यों रही: 
ऐसे में लगता है कि क्या रेलवे ने यह मान लिया है कि ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता? अगर नहीं, तो क्या वजह है कि अचानक ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ गई है? सवाल सिर्फ एक एक्सीडेंट का नहीं है, सवाल है कि ऐसी दुर्घटनाएं हो क्यों रही हैं? कभी सबसे योग्य विभागों में गिना जाने वाला रेलवे अचानक अयोग्य से क्यों लगने लगा? अब बहस इस पर नहीं होनी चाहिए कि दुर्घटना हुई कैसे? अब चर्चा इस पर होनी चाहिए कि आखिर रेल दुर्घटनाएं रुकेंगी कब और कैसे? हैरानी की बात है कि ट्विटर पर इतना एक्टिव यह डिपार्टमेंट अक्सर इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंटेनेंस के नाम पर धन की कमी का रोना रोता है। उत्कल एक्सप्रेस हादसे' सहित पिछले पांच सालों में देश में 586 रेल दुर्घटनाएं चुकी हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इन 586 रेल हादसों में से करीब 53 फीसदी घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुई हैं.
हम बुलेट ट्रेन का सपना देख रहे हैं. उस दिशा में काम भी हो रहा है. सोचिये अगर हमारी रेल ट्रैक्स का यही हाल रहा तो किसी सफल होगी बुलेट ट्रेन की सेवा. अधिकांश लोगों का मानना है कि पहले जो ट्रेने चल रही हैं वही सही समय पर और सुरक्षित चलें. उनमे बद इन्तजामी को दूर किया जाय. सफाई व्यवस्था, भोजन और रख-रखाव की सुविधा चुस्त दुरुस्त हों. रेलवे के कर्मचारी और अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझें. रेल मंत्री इस्तीफ़ा न भी दें तो आगे की कार्रवाई को और बेहतर बनायें. इतनी अपेक्षा तो होती है ताकि रेल यात्री जो उचित किराया देकर रेल में सफ़र करते हैं, अपनी मंजिल पर सुरक्षित पहुँच सकें. दुर्घटनाओं, हादसों से सबक लेते हुए सुरक्षा नियमों का पूर्णतया पालन आवश्यक है ताकि आगे किसी भी घटना/दुर्घटना को रोका जा सके.

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.   

Saturday, 12 August 2017

हादसा नहीं हत्या – कैलाश सत्यार्थी(नोबल पुरस्कार विजेता)

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर सरकारी अस्पताल  में पांच दिनों के भीतर हुई 60 से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत हादसा नहीं हत्या है - यह बातें नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने ट्वीट कर कहा है. कैलाश सत्यार्थी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर पर दी है. उन्होंने कहा है कि बिना ऑक्सीजन के 30 बच्चों की मौत हादसा नहीं, हत्या है. क्या हमारे बच्चों के लिए आजादी के 70 सालों का यही मतलब है. कैलाश ने एक और ट्वीट में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए लिखा है कि आपका एक निर्णायक हस्तक्षेप दशकों से चली रही भ्रष्ट स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक कर सकती है ताकि  ऐसी घटनाओं को आगे रोका जा सके.
गोरखपुर पिछले 20 सालों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चुनाव क्षेत्र है. मुख्यमंत्री ने इस मामले में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की खबरों से इनकार कर दिया. जबकि अस्पताल प्रशासन के साथ साथ अस्पताल के बाल रोग विभाग को इसकी सूचना चिट्ठी के जरिए दी गई थी. इस चिट्ठी में कहा गया था कि अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी है. जान गंवाने वाले बच्चों में 5 नवजात शिशु भी थे. न मौतों की वजह आधिकारिक तौर पर भले ही नहीं बताई जा रही हो लेकिन कहा जा रहा है कि इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी ही कारण है. जबकियु पी सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई. अब आइये जानते है उन दो चिट्ठियों के बारे में -
पहली चिट्ठी एक अगस्त की है जो अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई करने वाली कंपनी ने लिखी थी जिसमें लिखा गया है कि वे सिलिंडर की सप्लाई नहीं कर पाएंगे क्योंकि 63 लाख रुपये से ज़्यादा का बकाया हो गया है. ये चिट्ठी बी आर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ साथ गोरखपुर डी एम और उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा विभाग महानिदेशक को भेजी गई है.
दूसरी चिट्ठी 10 अगस्त की है जो ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई करने वाली कंपनी के कर्मचारियों ने लिखी थी. ये कर्मचारी अस्पताल में सिलिंडर देने का काम करते थे. ये चिट्ठी अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख को संबोधित करते हुए एक चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई कम होने की जानकारी दी गई है.
इस बीच उसी हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ. कफील अहमद का नाम सुर्ख़ियों में आया है जिन्होंने अपने बल बूते काफी ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध कराये और उसके लिए अपने पास से नगद रुपये भी दिए. फिर भी उन्हें अफ़सोस है कि वे मासूमों की जान नहीं बचा सके.
शनिवार को जायजा लेने पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह सीधे सीधे लापरवाही का मामला है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए. मौके पर पहुंचे इस डेलीगेशन में आजाद के अलावा, आरपीएन सिंह, राज बब्‍बर और प्रमोद तिवारी मौजूद थे. कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है... और ये प्रतिक्रियाएं भी राजनीतिक होती हैं इसमें कोई दो राय नहीं है.
गोरखपुर बी आर डी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत की वजह ऑक्सीजन सिलिंडर ख़त्म होने की बात सामने आई है. मेडिकल कॉलेज के सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई यूनिट में ज़िलाधिकारी के आदेश पर नई संस्था मोदी फ़ार्मा ने सप्लाई शुरू की है जबकि पहले पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी सप्लाई करती थी जिसका 63 लाख रुपये से ज़्यादा बकाया है. इसके बाद उसने सप्लाई बंद कर दी.
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि सभी मौतें ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से नहीं हुई हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. योगी ने कहा कि तथ्य को मीडिया सही तरीके से पेश करे. सीएम योगी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में हादसे से ज्यादा अपने कार्यों पर जोर दिया. उन्होंने अस्पताल के दौरे के अलावा पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य इंतजाम पर सफाई दी.
इस बीच गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्र ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रिंसिपल के इस्तीफे की खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन हम उन्हें पहले ही निलंबित कर चुके हैं और उनके खिलाफ जांच भी शुरू की गयी है. हालाँकि इन्ही स्वास्थ्य मंत्री का बेतुका बयान भी सुर्ख़ियों में था कि अगस्त में बच्चे मरते ही हैं. इसमें कितनी संवेदनहीनता है साफ़ साफ़ नजर आ रहा है. यही हादसा दिल्ली या किसी गैर भाजपा सरकार के शासन वाले राज्य में होता तो तुरन्त ही मुख्य मंत्री का इस्तीफ़ा मांग लिया जाता और भाजपा के ही कार्यकर्ता उस सरकार की ईंट से ईंट बजा देते.
इलाहाबाद में एक सभा में भी योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उनके गृह नगर में बच्चों की मौत गंदगी भरे वातावरण और खुले में शौच के चलते हुई है. आदित्यनाथ ने कहा, "मच्छरों से फैलने वाली कई बीमारियां हैं, जिसमें इनसेफलाइटिस भी शामिल है.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इस अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला 7 अगस्त को ही शुरू हो गया था. 9 तारीख की आधी रात से लेकर 10 तारीख की आधी रात को 23 मौतें हुईं जिनमें से 14 मौतें नियो नेटल वॉर्ड यानी नवजात शिशुओं को रखने के वॉर्ड में हुई जिसमें प्रीमैच्योर बेबीज़ रखे जाते हैं. शनिवार को अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन सिलिंडर सप्‍लाई करने वाली कंपनी पुष्‍पा सेल्‍स के मालिक मनीष भंडारी के घर पर छापा मारा गया था. मुख्यमंत्री खुद मौके पर नहीं पहुंचे इसका लोगों में अच्छा खासा रोष है. जबकि दो दिन पहले वे उसी अस्पताल में निरीक्षण और मीटिंग करने गए थे.
सवाल यही है कि इस हादसे का जिम्मेवार कौन है? एक प्रिंसिपल को तो सूली पर चढ़ा दिया गया. उनके बारे में यह भी खबर छपी है कि वे ऑक्सीजन सप्लायर से कमीसन लेते थे. कमीसन नहीं मिलने की वजह से ही सप्लायर का पैसा रोका गया.
बच्चों की मौत के बाद अब मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी बता रहे हैं कि मैडम (मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य राजीव मिश्र की पत्नी) सामान्य रवायत से दो फीसद ज्यादा कमीशन चाहती थीं, इसीलिए उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का भुगतान लटका रखा था. चिकित्सा शिक्षा विभाग के कर्मचारी बताते हैं कि कंपनी अपना बकाया मांग रही थी जबकि मैडम ज्यादा कमीशन का तगादा कर रही थीं. कर्मचारियों के मुताबिक प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर 10 फीसद का कमीशन तय है. आपूर्ति करने वाली कंपनियां और आपूर्ति मंजूर करने वाले अधिकारियों के बीच बिना मांगे ईमानदारी से यह लेन-देन चलता रहता है. यह भ्रष्टचार मुक्त भारत का सच.
अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले अंकुर बताते हैं कि टैंकर के जरिये सप्लाई की जाने वाली लिक्विड ऑक्सीजन औसतन चार से साढ़े चार रुपये प्रति लीटर की दर पर मिलती है, जबकि 30 लीटर ऑक्सीजन का सिलेंडर 250 रुपये यानी करीब आठ रुपये प्रति लीटर की दर से मिलता है. सिलेंडर का दाम दोगुना होने के कारण 10 फीसद की दर से कमीशन भी दोगुना हो जाता है. मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी बताते हैं कि इसीलिए ऑक्सीजन वाले सिलेंडरों की खपत सामान्य जरूरत से ज्यादा कराई जाती है.
दो पत्र ऐसे हैं जो बीआरडी अस्पताल प्रशासन के दावों की पोल खोलने को पर्याप्त हैं. कंपनी ने बकाया भुगतान का हवाला देकर आक्सीजन देने से मना कर दिया था. यदि कहा जाए कि इन मौतों के लिए अधिकारियों की लापरवाही पूरी तरह जिम्मेदार है तो यह गलत नहीं होगा. मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में पुष्पा सेल्स कंपनी द्वारा लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई की जाती है.
चाहे जो भी कारण हो दोषी पर कार्रवाई होनी चाहिए. भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी है कि हम मासूमों की जिन्दगी से भी कोई वास्ता नहीं रह. काश कि कभी इनके परिजन भी ऐसी संकट से जूझ रहे होते! पर इनके परिजन तो प्राइवेट हॉस्पिटल में सुरक्षित रहते हैं. जनता की शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की होती है. सरकर इसीलिए तो कर वसूल करती है ताकि जनता को सुविधा मुहैया कराई जा सके पर यहाँ तो ऊपर से नीचे तक बंदर बाँट चलता रहता है.
हर बात में ७० साल का इतिहास और कांग्रेस शासन को दोषी ठहराना गलत बात है. अब आपकी सरकार तीन साल से केंद्र में है. उत्तर प्रदेश में भी अप्रत्याशित बहुमत मिला है. आपने कहा था गद्धामुक्त सड़क वह भी तस्वीरें बयान करती हैं, गड्ढामुक्त हुआ या गद्धायुक्त हुआ है. आदरणीय योगी जी और मोदी जी अभी भी देश को आपसे बहुत कुछ अपेक्षा है कृपया जनता को निराश मत कीजिए. उम्मीद है इस बार १५ अगस्त को कुछ और नई घोषणाएं करंगे. नए भारत के लिए अपने बढ़ते क़दमों की आहट भी अवश्य ही सुनायेंगे! जय हिन्द!

– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.