लहरें ....... सागर की!
लहरें उठती जब सागर में,
नदियाँ आ जाती गागर में,
“ओ खड़ा मुसाफिर आ मुझमे,
चिंता को छोड़ समा मुझमे”.
लहरे इठलाती कैसी है,
हिरनी बलखाती जैसी है.
किलकाती हुई टकराती है,
कूलों को सदा नहाती है.
यह कोई उड़न खटोला है,
जल तरंग नहीं ये हिंडोला है.
पर बीच भंवर में मत जाना,
बस पास किनारे इतराना.
अब उतरो जरा संभल कर जी,
डर लगे तो ‘टियूब’ ले लो जी,
महसूस करो अब थिरकन को,
मत गिनो ह्रदय की धड़कन को.
डूबो उतराओ झूमो जी,
न सकुचाओ अब घूमो जी,
प्रियतम गर साथ में है साथी,
अब नहीं चाहिए मय साकी.
झूमो फिर ऐसी मस्ती में,
जैसे बैठे हो कस्ती में,
सुध बुध की नहीं जरूरत अब,
समझोगे यही हकीकत तब.
देखो गंगा की धारा है,
यमुना ने यहाँ पधारा है,
सबको मिलना ही पड़ता है,
नियति ने नाच नचाया है
देखो तरणी की माया को,
तरुनी ने इसे सिखाया है,
आँचल फैलाये है कैसी,
तम्बू की तान हो यह जैसी.……………………………………
दिल मेरा चीरा जाता है,
जब पोत मुझी पे जाता है,
करता संहार मनुजता का,
सीमा अब नहीं दनुजता का.
गूंजती धरा चीत्कारों से,
शत्रुदल के फुम्फ्कारों से,
दस्युदल आ ही जाते हैं,
धन, लक्ष्मी लूट ले जाते हैं.…………………………………..
होती है खुश जब मछलियाँ,
लेती हैं कैसी गलबहियां,
दुःख सारे भूल तुम जाओगे,
जब उन्हें देख मुस्काओगे.
सारे जलचर सहचर बनकर,
सुख दुःख के सब साथी बनकर,
रहते हैं यहाँ पर मस्ती में,
ले जाते उन्हें तुम कस्ती में.
ऐ पवन जरा झकझोर मुझे,
न होने दे कमजोर मुझे,
साजन को घर आ जाने दे,
अब गीत खुशी के गाने दे.
मछुआरों जग जा भोर हुई,
जीवन के पथ में शोर हुई,
देखो न! सूरज की लालिमा,
छंट गयी गई गगन की कालिमा.
काले गोरे का भेद नहीं,
देखो तो कही पर छेद नहीं,
अवनि अब मेरे अन्दर है,
वह दिखती कितनी सुन्दर है.
लहरें जो आती जाती हैं,
सन्देश हमें दे जाती है,
जीवन का बस है एक लगन,
चलते जाओ निश्चिन्त मगन.
कलियाँ खिलती है खिलने दो,
भौरों को उनसे मिलने दो,
खुशबू जो आती है उनसे,
प्रेमी के मन में खिलने दो.
जब नई जोड़ियाँ आती हैं,
सपनों में भी शर्माती है,
लहरों से उनका नाता है,
साजन का संग ही भाता है.
हे कवि उन्हें न नजर लगा,
कोई गीत प्रेम का तू भी गा,
न देख सरलता तू उनकी,
करने दे उनको भी मन की.
मांझी नावों पर आ जा तू,
आखेट शुरू कर दे अब तू,
मान्झिन को साथ में ले लो तू,
कोई तान विरह का छेड़ो तू.
सपनो में तू भी सो जाना,
लहरों में तू भी खो जाना,
लहरें तो आनी जानी है,
जीवन की यही कहानी है.
जीवन की यही कहानी है………….
लहरें उठती जब सागर में,
नदियाँ आ जाती गागर में,
“ओ खड़ा मुसाफिर आ मुझमे,
चिंता को छोड़ समा मुझमे”.
लहरे इठलाती कैसी है,
हिरनी बलखाती जैसी है.
किलकाती हुई टकराती है,
कूलों को सदा नहाती है.
यह कोई उड़न खटोला है,
जल तरंग नहीं ये हिंडोला है.
पर बीच भंवर में मत जाना,
बस पास किनारे इतराना.
अब उतरो जरा संभल कर जी,
डर लगे तो ‘टियूब’ ले लो जी,
महसूस करो अब थिरकन को,
मत गिनो ह्रदय की धड़कन को.
डूबो उतराओ झूमो जी,
न सकुचाओ अब घूमो जी,
प्रियतम गर साथ में है साथी,
अब नहीं चाहिए मय साकी.
झूमो फिर ऐसी मस्ती में,
जैसे बैठे हो कस्ती में,
सुध बुध की नहीं जरूरत अब,
समझोगे यही हकीकत तब.
देखो गंगा की धारा है,
यमुना ने यहाँ पधारा है,
सबको मिलना ही पड़ता है,
नियति ने नाच नचाया है
देखो तरणी की माया को,
तरुनी ने इसे सिखाया है,
आँचल फैलाये है कैसी,
तम्बू की तान हो यह जैसी.……………………………………
दिल मेरा चीरा जाता है,
जब पोत मुझी पे जाता है,
करता संहार मनुजता का,
सीमा अब नहीं दनुजता का.
गूंजती धरा चीत्कारों से,
शत्रुदल के फुम्फ्कारों से,
दस्युदल आ ही जाते हैं,
धन, लक्ष्मी लूट ले जाते हैं.…………………………………..
होती है खुश जब मछलियाँ,
लेती हैं कैसी गलबहियां,
दुःख सारे भूल तुम जाओगे,
जब उन्हें देख मुस्काओगे.
सारे जलचर सहचर बनकर,
सुख दुःख के सब साथी बनकर,
रहते हैं यहाँ पर मस्ती में,
ले जाते उन्हें तुम कस्ती में.
ऐ पवन जरा झकझोर मुझे,
न होने दे कमजोर मुझे,
साजन को घर आ जाने दे,
अब गीत खुशी के गाने दे.
मछुआरों जग जा भोर हुई,
जीवन के पथ में शोर हुई,
देखो न! सूरज की लालिमा,
छंट गयी गई गगन की कालिमा.
काले गोरे का भेद नहीं,
देखो तो कही पर छेद नहीं,
अवनि अब मेरे अन्दर है,
वह दिखती कितनी सुन्दर है.
लहरें जो आती जाती हैं,
सन्देश हमें दे जाती है,
जीवन का बस है एक लगन,
चलते जाओ निश्चिन्त मगन.
कलियाँ खिलती है खिलने दो,
भौरों को उनसे मिलने दो,
खुशबू जो आती है उनसे,
प्रेमी के मन में खिलने दो.
जब नई जोड़ियाँ आती हैं,
सपनों में भी शर्माती है,
लहरों से उनका नाता है,
साजन का संग ही भाता है.
हे कवि उन्हें न नजर लगा,
कोई गीत प्रेम का तू भी गा,
न देख सरलता तू उनकी,
करने दे उनको भी मन की.
मांझी नावों पर आ जा तू,
आखेट शुरू कर दे अब तू,
मान्झिन को साथ में ले लो तू,
कोई तान विरह का छेड़ो तू.
सपनो में तू भी सो जाना,
लहरों में तू भी खो जाना,
लहरें तो आनी जानी है,
जीवन की यही कहानी है.
जीवन की यही कहानी है………….