Saturday 25 March 2017

मुख्य मंत्री योगी की प्राथमिकताएं

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री का पद संभालने के बाद पहली बार योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर पहुंचे जहां उनका भव्‍य स्‍वागत किया गया. यहां लोगों को संबोधित करते हुए उन्‍होनें कहा, य‍ह नागरिक अभिनंदन मेरा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ जनता का अभिनंदन है जिसने भारतीय जनता पार्टी और दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर और बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह की रणनीति के अंतर्गत बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत दिया है, इसके लिए मैं यूपी की 22 करोड़ जनता का अभिनंनदन करता हूं.' उन्होंने कहा कि हम सबके सामने प्रधानमंत्री और बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी दी है और वह जिम्‍मेदारी है कि प्रधानमंत्री के सपनों के अनुरूप एवं अन्‍य बीजेपी शासित राज्‍यों की तरह ही उत्तर प्रदेश की जनता तक भी सरकार की हर योजना का लाभ पहुंचे.”
उन्होंने कहा आगे कहा - ‘‘उत्तर प्रदेश आज केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सरकार की राह पर सबका साथ और सबके विकासकी राह पर चलेगा. यहां पर किसी के साथ ना जाति, ना मत, ना मजहब और ना लिंग के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव किया जाएगा. विकास सबका होगा लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा. यही आश्वासन देने के लिए मैं आपके बीच उपस्थित हुआ हूं. एक बड़ी योजना के साथ हम कार्य प्रारंभ करने वाले हैं. उत्तर प्रदेश का कोई व्यक्ति चाहे वह किसी तबके या क्षेत्र का हो, कभी भी अपने को उपेक्षित महसूस नहीं करेगा. सबको बताना चाहता हूं कि भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र में जो बातें कही हैं, हम अक्षरश: उनका अनुपालन करेंगे. सरकार उत्तर प्रदेश को देश के विकसित से विकसित प्रदेश के रूप में स्थापित करने में सफल होगी. प्रदेश में भाजपा की बड़ी विजय है लेकिन कहीं भी जोश में होश खोनेकी स्थिति नहीं आनी चाहिए. किसी को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए. आपके उत्साह में कहीं ऐसा ना हो उन अराजक तत्वों को अवसर मिले जो देश प्रदेश की शांति में खलल डालना चाहते हैं. युवाओं, नौजवानों, किसानों, मजदूरों, हर तबके के लिए हमारी योजना होगी. विकास के लिए मजबूती से कार्य करेंगे. लोक निर्माण विभाग के कामकाज की समीक्षा के दौरान निर्देश दिया गया है कि प्रदेश की सभी सड़कें 15 जून तक गडढा मुक्त हो जाएं. उत्तर प्रदेश सरकार की एक टीम यह पता करने के लिए छत्तीसगढ़ भेजी है कि वहां हर व्यक्ति के लिए खाद्य सुरक्षा किस तरह लागू है. वहां का एक एक गरीब किस तरह शासन की योजनाओं से लाभान्वित है. शत प्रतिशत गेहूं का क्रय करेंगे. समर्थन मूल्य किसान के खाते में डालेंगे. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पिछले दो साल में कई बार कहा है कि प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को हटाओ. जो लोग मानक के अनुसार लाइसेंस लिये हैं, लाइसेंस नियमों का पालन कर रहे हैं, सरकार उन्हें नहीं छेड़ेगी लेकिन जिन्होंने एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन किया है, अवैध रूप से गंदगी फैला रहे हैं और जन-स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उन्हें हटाया जाएगा. भाजपा सरकार बालिकाओं और माताओं की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है. प्रशासन से कहा गया है कि ऐसे तत्वों पर कडाई करें जो मनचले और शोहदे किस्म के हैं. एंटी रोमियो स्क्वाड को सक्रिय कर दिया गया है. प्रशासन से स्पष्ट करूंगा कि सहमति से साथ बैठे, बात करते या राह चलते युवक-युवती को कतई ना छेड़ा जाए लेकिन अगर भीड़ वाले स्थानों पर या स्कूलों के बाहर कोई इस प्रकार की हरकत करता है, जिससे बालिका की सुरक्षा को खतरा पैदा हो तो ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए. जहां ऐसा होगा, वहां के अधिकारी उसके प्रति जवाबदेह होंगे. हमें ऐसी व्यवस्था देनी है कि रात्रि को दस या 11 बजे भी अगर कोई बालिका कहीं से आ रही है और अकेले सड़क पर चल रही है तो अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके. कानून का राज स्थापित करने में, भ्रष्टाचार रहित शासन देने में, उत्तर प्रदेश में हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी देने में, न्याय की गारंटी तथा इस कार्य को मजबूती से करने में सबके सहयोग की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जहां भी जा रहे हैं, लोगों की समस्याएं हैं. किसानों, नौजवानों, माताओं, बहनों, व्यापारियों की समस्याएं हैं.  नौजवानों का पलायन रोकने के लिए, गांव, गरीब और किसान के लिए हम बड़ी मजबूती के साथ दिन रात एक कर पूरी तत्परता के साथ कार्य करने को संकल्पित हैं.’’
उन्होंने घोषणा की कि कैलाश मानसरोवर यात्रियों को राज्य सरकार एक लाख का अनुदान देगी। पहले यह अनुदान की राशि ५० हजार रुपये की थी.  लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद में से कहीं कैलाश मानसरोवर केंद्र बनेगा जहां से श्रद्धालु आगे की यात्रा बढ़ा सकेंगे।
अगर गौर से देखा जाय तो योगी जी जब से मुख्यमंत्री बने हैं उनके वक्तव्य और क्रिया कलाप में एक कर्तव्यबोध दीखता है. एंटी रोमियो स्क़्वायड के क्रियान्वयन से छात्राओं में खुशी और सुरक्षा की भावना पैदा हुई है. थानों और कार्यालयों में कार्यसंस्कृति के साथ  साफ़ सफाई का भी बोध हुआ है. लोग समय से अपने कार्यालय पहुँच रहे हैं.
सबसे महत्वपूर्ण बात या भी है कि किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज हॉस्प‍ि‍टल में गैंगरेप और एसिड अटैक पीड़िता से मिलने स्वयम  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को महिला से मुलाकात करने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे. पीड़ित के सामने सुरक्षा में तैनात महिला कॉन्स्टेबल द्वारा सेल्फी लेने का मामला सामने आया है. फोटो वायरल होने के बाद तीनों महिला कांस्टेबल्स को शुक्रवार देर रात निलंबित कर दिया गया. पीड़िता पिछले आठ साल से अदालती जंग लड़ रही है. गुरुवार को लखनऊ जाती एक ट्रेन में दो पुरुषों ने उसे पकड़कर जबरदस्ती तेज़ाब पीने के लिए मजबूर कर दिया था. मुख्यमंत्री ने महिला के लिए एक लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की, और पुलिस को जल्द से जल्द महिला के आक्रमणकारियों को पकड़ने का भी आदेश दिया. घटना की जानकारी मिलते ही योगी पीड़िता का हालचाल लेने मेडिकल कॉलेज पहुंचे. उन्होंने अपर पुलिस महानिदेशक (रेलवे) गोपाल गुप्ता को बुलाकर निर्देश दिया कि आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो. सीएम के निर्देश के बाद अब पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इस महिला के साथ वर्ष 2008 में रायबरेली में गैंगरेप किया गया था, और उसके पेट पर तेज़ाब फेंका गया था. तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, और जल्द ही मामले की सुनवाई शुरू होने जा रही है. महिला के पति का कहना है कि उनके परिवार को लगातार धमकियां मिलती रही हैं.       

तात्पर्य यह कि मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कानून का राज्य स्थापित करने और सुशाशन लाने की कोशिश की है. यु पी कि अधिकांश जनता उनके कार्यकलापों से खुश और संतुष्ट लग रही है. किसानों के लिए सरकार बैठक बुलाने वाली है और उनकी समस्याओं के संधान की हर सम्भव कोशिश की जाएगी ऐसा कहा जा रहा है. किसी भी प्रदेश या देश का मुखिया खुद मिहनती और ईमानदार हो तो समस्याओं के समाधान की आशा बंधती है. योगी जी के पास तीन कार पहले से है, एक सांसद और समाज सेवी के रूप में गोरखपुर और उसके आसपास की समस्यायों को दूर करने के लिए अपने स्तर पर काफी प्रयास कर चुके हैं, इसीलिए जनता उन्हें बार-बार(लगतार ५ बार सांसद के रूप में) चुनती रही है. योगी और महंत के रूप में उनका आचरण शुद्ध और सात्विक है. पर दृढ संकल्पता उनकी ताकत है. आशा की जानी चाहिए कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाकर मानेंगे. और मोदी के बाद देश को भी आगे बढ़ाने का काम करेंगे. हमारी शुभकामनाएं उनके और उत्तर प्रदेश की जनता के साथ है. उम्मीद है कि दूसरे राज्यों के मुख्य मंत्री उनसे प्रेरणा लेंगे तभी वे अपने राज्य की जनता के दिलों में जगह बना पायेंगे 
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर 

Saturday 18 March 2017

मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ (योग से राजयोग)

मोदी सरकार में बहुत कुछ पहली बार ही होता है और जो कुछ होता है चौंकानेवाला भी होता है। कुछ ऐसा ही योगी आदित्यनाथ का मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश के रूप में चयन में भी हुआ। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपने शपथ-ग्रहण समारोह स्थल स्मृति उपवन जाकर स्वयं ही निरीक्षण किया और आवश्यक निर्देश भी दिए। एक सप्ताह तक बहुत सारे नाम मीडिया द्वारा उछाले गए। कभी राजनाथ सिंह, तो कभी स्वामी प्रसाद मौर्या तो कभी मनोज सिन्हा का भी नाम आया। मनोज सिन्हा तो ऐसे आश्वस्त लग रहे थे कि उन्होंने शुबह से ही पूजा अर्चना भी प्रारंभ कर दी। काल भैरव मंदिर से लेकर बाबा विश्वनाथ और संकटमोचन मंदिर तक माथा टेका। अपने गांव गाजीपुर के कुल देवता की भी पूजा कर ली और दिल्ली लौट गए तब तक योगी और केशव ने भी दिल्ली का रुख किया और धारा को अपने पक्ष में मोड़ने में सफल हुए। अंतत: योगी आदित्यनाथ सर्व सम्मति से मुख्य मंत्री चुने गए और उनकी सहायता हेतु दो उप मुख्य मंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री दिनेश शर्मा का नाम प्रस्तावित किया गया और उस पर भी सर्वसम्मति की मुहर लग गयी।     
उत्तर प्रदेश के 403 सीटों में से 325 बीजेपी ने जीतकर अभूतपूर्व ऐतिहासिक सफलता पाई है पर मुख्यमंत्री के चुनाव में एक सप्ताह लग गए! कई नामों की चर्चा के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया केशव प्रसाद मौर्य जहां बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष हैं, वहीं दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर हैं 
बताया जा रहा है कि गोरखपुर से लोकसभा सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम तब चुना गया जब आरएसएस ने मनोज सिन्हा के नाम के साथ सहमति नहीं जताई ऐसी खबर थी कि पीएम मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने जूनियर टेलिकॉम मंत्री मनोज सिन्हा के नाम का समर्थन किया था बेचारे मनोज सिन्हा को लगता है प्रधान मंत्री स्तर से स्वीकृति मिल गयी है तब उन्होंने बाबा विश्वनाथ की नगरी में जाकर माथा टेका पर बाबा को तो कुछ और ही मंजूर था। ‘सबहिं नचावत राम गुंसाईं’ के तौर पर जब योगी जी के नाम की मुहर लगी तो पूरा उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश शायद झूम उठा। सोशल मीडिया पर भी बधाइयों का ताँता लग गया। कविताएँ गढ़ी जाने लगी। योग से राजयोग के बीच में योगी जी की जाति भी ढूंढ निकली गयी।
महंत योगी आदित्यनाथ (जन्म नाम: अजय सिंह नेगी (बिष्ट), जन्म 5 जून 1972)  आदित्यनाथ की पहचान फायरब्रांड नेता के रूप में रही है विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा रैलियां करने वाले आदित्यनाथ पूर्वांचल के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं भाषणों में लव जेहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को उन्होंने जोर-शोर से उठाया था बीजेपी के इस फायर ब्रांड नेता के बारे में जानें कुछ और बातें
पूर्वांचल में राजनीति चमकाने वाले योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में हुआ था सबसे दिलचस्प बात यह है कि योगी आदित्यनाथ का वास्‍तविक नाम अजय सिंह नेगी है। इनकी जाति क्षत्रिय यानी राजपूत बताई जाती है पर वे हमेशा यही कहते हैं - जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान!
राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल कर चुके हैं जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था, उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। ये छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।
इन्होने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।
अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर इन्होने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने इन्हें वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण इन्हें केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण ये लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।
उनके दो सहयोगी उप मुख्य मंत्री सहायक के रूप में काम तो करेंगे ही साथ ही संतुलित विकास के साथ संतुलित सामाजिक साझेदारी की भी मिशाल बनेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए उपर्युक्त त्रिदेवों के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बनेगा। हमारी तरफ से इन्हें और उत्तर प्रदेश की जनता को बहुत बहुत बधाई!

-     - जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर।

Sunday 12 March 2017

‘केशव’ जिनके साथ है! जीत उन्ही के हाथ है!


केशवजिनके साथ है! जीत उन्ही के हाथ है!
यहाँ केशवको बृहत् अर्थ में लिया जाय!
केशव मतलब भगवान कृष्ण और जनता जनार्दन!
मोदी जी ने जनता के दिल में जगह बनायी है! जनता को उनसे ढेरों उम्मीदें हैं. उनका अथक परिश्रम काबिले तारीफ है! अमित शाह का राजनीतिक प्रबंधन और जमीनी स्तर पर तैयारी भी पार्टी के लिए सकारात्मक सिद्ध हुई है. जनता की नब्ज पकड़ने में ये लोग महारत हासिल कर लिए हैं. टिकट बंटवारे से लेकर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की फ़ौज, प्रखर और मुखर प्रवक्ताओं के साथ, स्वयम के वक्तृत्त्व कला से सभी विरोधियों को चारे खाने चित्त कर दिए. जनता जिस भाषा को समझती है उसी की भाषा में संवाद कर अपनी लोकप्रियता ऐसी सुरक्षित कर ली है कि अच्छे-अच्छे नेता उनकी तारीफ में कसीदे काढ़ने लगे हैं. मीडिया और पत्रकार विरादरी भी उनकी छवि को जनता के बीच में उजागर करती रही है. सबसे बड़ी बात यह रही कि जिसने भी इनपर भद्दे कमेंट किये उसे भी स्वीकार कर जनता के दिल में जगह बना ली. कुछ नीतियां जो जनता और गरीबों के हित में रही वह है जन-धन खाता, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, स्वच्छ भारत अभियान, यहाँ तक कि नोटबंदी को भी आम जनता ने सकारात्मक तरीके से लिया. थोड़ी तकलीफ हुई पर यह सफाई भी जरूरी थी. इसका दूसरा प्रभाव यह भी हुआ कि विरोधियों का छिपा हुआ धन मिट्टी के बराबर हो गया. आदरणीय मोदी जी और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है! साथ ही उम्मीद है कि वे सबका साथ और सबका विकास करेंगे!
जैसा आशातीत परिणाम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जनता ने दिया है, इसे लोकतंत्र की ही जीत कही जा सकती है. मणिपुर और गोवा में भी भाजपा की सरकारें बनने जा रही है. एक पंजाब को छोड़कर बाकी जगह भाजपा विजयी हुई है. भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी है इसे नकारा नहीं जा सकता! मीडिया के कैमरे के अनुसार उत्तर प्रदेश के दूरस्थ गाँव बिहार के गांवों से भी पिछड़े लग रहे थे. मतलब विकास गांवों तक नहीं पहुँचा है. गरीब के वोट ही निर्णायक होते हैं और गरीबों में एक उम्मीद है कि मोदी जी उनके लिए कुछ कर रहे हैं. नोटबंदी को भी काफी लोगों ने सकारात्मक रूप में लिया. राष्ट्र धर्म और देश भक्ति भी सर्वोपरि है यह भी एक भावनात्मक मुद्दा है. देश हैं तो हम हैं !
आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की टीम को अभी और मिहनत करने की जरूरत है. बेबुनियाद दोषारोपण, जबकि आरोपित पार्टी आपसे अधिक ताकतवाला है, इससे बचना होगा. उनके अपने घर के या टीम के कई नेताओं के दुष्कर्म उजागर हुए, जिससे उनकी छवि को धक्का लगा. कुछ भावनात्मक मुद्दे पर उनके बयान से उनकी छवि देशद्रोही या देश विरोधी की बन गयी. दिल्ली में चाहकर भी वे बहुत कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनके अधिकार सीमित हैं. पंजाब में सरकार बनाने का सपना चूर-चूर हो गया. गोवा में खाता भी नहीं खुला. टीम वर्क और समर्पित कार्यकर्ताओं की फ़ौज के साथ मनी मैनेजमेंट भी उतना ही जरूरी है. कुछ धनाढ्य वर्ग और वकीलों को भी साथ में रखना पड़ेगा, तभी आगे बढ़ पाएंगे नहीं तो दिल्ली में सिमट कर रह जायेंगे. 
नीतीश कुमार बहुत ही सधी हुई जबान बोलते हैं. अपना काम चुपचाप करते हैं. अभी उनके साथ ज्यादा जनसमर्थन नहीं है, पर सही मायनों में उनका काम बोलता है जो पिछले कार्यकाल में उन्होंने पूरे किये हैं. बीच-बीच में मोदी जी के अच्छे क़दमों की तारीफ भी करते रहते हैं. सधे हुए नेता की पहचान यही होती है. विपक्ष आज बहुत ही कमजोर और बंटा हुआ है. सही लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष का भी उतना ही महत्त्व है जितना सत्तापक्ष का.  विपक्षी दलों को एक बार फिर से आत्म मंथन करना होगा.
सपा का पारिवारिक झगड़ा सड़क पर आना. राहुल का साथ, राज्य में कानून ब्यवस्था की गिरती हुई स्थिति एक जाति विशेष और परिवार को विशेष तरजीह देने से मुलायम और अखिलेश की छवि ख़राब हुई. मायावती और मुलायम के पारंपरिक वोट बैंक में भी भाजपा की सेंध लग गयी और लोगों ने जाति धर्म से ऊपर उठाकर मोदी जी को स्वीकारा. जनता जिस पर भरोसा करती है दिल खोलकर करती है और जिस पर से भरोसा टूट जाता है उसे कहीं का नहीं छोडती. राष्ट्रीय मुद्दे और धार्मिक मुद्दे के सामने सभी मुद्दे गौण हो जाते हैं. 
भाजपा का सोशल इंजीनियरिंग, सबको साथ लेकर चलने की कोशिश, हिन्दू मतों को एकजुट करना, हर मुद्दे को अच्छी तरह अपने हक़ में भुनाना, कारगर सिद्ध हुआ. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इस बार हमें 2014 से भी बड़ा समर्थन मिला है और देश का गरीब नोटबंदी के फैसले पर बीजेपी के साथ है. अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी आजादी के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं. कांग्रेस नेता चिदंबरम ने भी मोदी को सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माना है. बीजेपी की विजय यात्रा हिमाचल, गुजरात होते हुए पूर्व और दक्षिण में भी पहुंचेगी.

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी हेडक्वार्टर में आयोजित अभिनंदन समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव सिर्फ सरकार बनाने के लिए नहीं होते हैं, बल्कि यह लोकशिक्षण का माध्यम भी है. उन्होंने कहा कि अकल्पनीय भारी मतदान के बाद अकल्पनीय भारी विजय होता है, यह पोलिटिकल पंडितों के लिए विचार करने को मजबूर करता है. भावनात्मक मुद्दों के अलावा विकास एक कठिन चुनावी मुद्दा होता है. पिछले 50 सालों में विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे से कतराते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव में कौन जीता, कौन हारा, मैं इस दायरे में सोचने वालों में से नहीं हूं. चुनाव का नतीजा हमारे लिए जनता जनार्दन का पवित्र आदेश होता है. जीत के फल के बाद और अधिक नम्र होना हमारी जिम्मेदारी है.
पीएम मोदी ने कहा, मैं देश की गरीबों की शक्ति को पहचान पाता हूं और राष्ट्र के निर्माण में गरीबों को जितना ज्यादा अवसर मिलेगा, देश उतना प्रगति करेगा. गरीब को अगर काम का अवसर मिला, तो वह देश के लिए ज्यादा काम करके दिखाएगा. मध्यम वर्ग का बोझ कम होना चाहिए. एक बार गरीब के अंदर खुद का बोझ उठाने की क्षमता आ जाएगी, तब मध्यम वर्ग का बोझ कम हो जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी ने पांचों राज्यों की जनता का धन्यवाद देते हुए कहा कि जिन्होंने वोट दिया भाजपा की सरकार उनकी भी है, जिन्होंने नहीं दिया उनकी भी है. इसलिए वोट दिया कि नहीं दिया यह कोई मायने नहीं रखता. उन्होंने अपने बारे में कहा कि मैं ऐसा पीएम हूं, जिससे पूछा जाता है कि इतनी मेहनत क्यों करते हो. इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या हो सकता है.
विनम्रता के एक उदाहरण और देखिए कि उन्होंने अपने सभी नेताओं कार्यकर्ताओं को होली का त्योहार मनाने के लिए दो तीन दिनों का समय दे दिया. उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री पद के दावेदारों को भी शांत भाव से रहने के लिए समय दे दिया और अब १६ तारीख को मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए समय निर्धारित कर दिया तब तक अखिलेश भी कुर्सी का लाभ ले लें ... इसे भी एक प्रकार के विनम्रता ही कही जा सकती है.
अंत में एक बार फिर से मोदी जी और उनकी टीम को बधाई और भारतीय लोकतंत्र की जय! सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ! जय हिन्द!

- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर (१२.०३.२०१७)   

Tuesday 7 March 2017

एक आह्वान! बहनों और बेटियों के नाम! (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर)

घोर चिंता का विषय, दुष्कर्म बनता जा रहा!
बात गैरों की नहीं, अपनों का डर सता रहा!
भारत-इण्डिया, लक्ष्मण-रेखा, नारियों के ही लिए !
समाधान, इन्साफ हो, चिंता भी इसकी कीजिये!

अमन व कानून के, रक्षक ही अब भक्षक बने!
ट्रेन से फेंका युवती को, आप यूं चलते बने!
इस धरा की नारियां, अब शस्त्र लेकर हाथ में,
जुल्म की वे दें सजा, ‘रूपम’ बने खुद आप में!
मोमबत्ती, भीड़ से अब हो नहीं सकता भला.
काट दो उस हाथ को, नारी नहीं है अबला!

“छीनता हो स्वत्व कोई, और तू त्याग तप से काम ले यह पाप है
पुण्य है विछिन्न कर देना उसे बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है”
दिनकर की ऐसी पक्तियां आज भी उपयुक्त है
शक्ति की देवी है तू, दे दंड गर तू भुक्त है
घर से बाहर तू निकल, शालीनता को साथ ले.
अनाचारी गर मिले, तो झट उसी का माथ ले.
काली, दुर्गा, लक्ष्मी बाई, सब तेरे ही रूप हैं
घर से बाहर आ निकल, ये जग नहीं कोई कूप है
लोक लज्जा क्या भला बस बेटियां सहती रहे.
और अपराधी दुराचारी सुवन घर में रहे!

हो नहीं सकता भला इस दानवी संसार में,
छोड़ ये मोमबत्तियां कटार लो अब हाथ में!
अम्ल की लो बोतलें, डालो रिपु के अंग पर!
पावडर मिर्ची की झोंको, नयन में उसे अंध कर!

आत्म रक्षा आप कर लो, रोकता अब कौन है?
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, क़ानून खुद मौन है!
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, क़ानून खुद मौन है!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Sunday 5 March 2017

शंकर भगवान की नगरी काशी/वाराणसी

शंकर भगवान की नगरी काशी/वाराणसी काफी पुरानी पौराणिक नगरी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह पृथ्वी से अलग शंकर भगवान के त्रिशूल पर विराजमान है। सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र ने जब पूरी पृथ्वी महर्षि विश्वामित्र को दान कर दी थी, तब उन्होंने काशी को ही अपने लिए रहने का स्थान चुना था और वहां के राजा चौधरी डोम के यहाँ चाकरी कर के महर्षि विश्वामित्र को देने योग्य दक्षिणा का इंतजाम करते रहे। राजा हरिश्चंद्र  तब काशी के श्मशान घाट पर मुर्दा जलाने वालों से ‘कर’ की वसूली(आधा कफ़न के रूप में) करते थे और इसमें भी वे उतने ही ईमानदार थे कि अपने पुत्र रोहिताश्व की अंतिम क्रिया के समय अपनी पत्नी से भी कर(आधा कफ़न) वसूल करना नहीं भूले थे।
भगवान शंकर त्रिदेवों में सबसे अलग हैं। वे स्वयं तो भोलेबाबा, आशुतोष, औढरदानी, शिव हैं ही पर उनका रूद्र रूप न्यायकर्ता के रूप में भी जाना जाता है। वे अपने सभी भक्तों का कल्याण तो करते ही हैं पर न्याय के लिए ब्रह्मा और विष्णु से भी संघर्ष करने से नहीं चूकते। इसीलिए वे त्रिदेवों में महान हैं। भगवान राम भी उनकी आराधना करते हैं और वे भी भगवान राम को अपना आराध्य मानते हैं।
1940 में विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भारत आये थे और उन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय को एक पत्र के माध्यम से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पढ़ाने की ईच्छा व्यक्त की थी। दुर्योग से वह पत्र महामना के पास तब पहुंचा जब आइंस्टीन अमेरिका के लिए प्रस्थान कर चुके थे और BHU ने एक महान वैज्ञानिक को अपने यहाँ शिक्षक बनने के अवसर को गँवा दिया। महामना को इस बात का अफसोस हुआ जिसका जिक्र उन्होंने अपने “विज़न डॉक्यूमेंट” में किया है।
आधुनिक भारत में महात्मा गाँधी से लेकर महामना तक को यह काशी नगरी प्रिय रही है। आज फिर से गुजरात का एक फकीर काशी में गंगा माँ के बुलावे पर आया है और गंगा माँ को साफ़ करने का बीड़ा उठाया है। काशी को क्योटो बनाने का संकल्प लिया है पर काशी की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करते हुए। काशी वाराणसी आज चर्चा में है, सुर्ख़ियों में है। प्रधान मंत्री सहित उनके मंत्रिमंडल के जाने-माने मंत्रीगण बनारस में डेरा डाले हुए हैं। और यु पी के दो लड़कों की यारी से लड़ने को और उसे परास्त करने को हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अपने कार्यों उपलब्धियों के बखान से लेकर जन-संपर्क तक और बाबा भोले से प्रार्थना के साथ-साथ काल भैरव के दरबार तक मत्था टेक रहे हैं। ये लड़के भी भगवान भोले के पास पहुँच गए अपनी मनोकामना लेकर अब तो भोले बाबा की दया पर ही निर्भर है कि वे किसे दया का पात्र समझते हैं। एक तरफ देश का प्रधान मंत्री है तो दूसरी तरफ प्रदेश का मुख्य मंत्री और उसके साथ लगभग सवा सौ साल पुरानी पार्टी का उपाध्यक्ष। निश्चित ही मुकाबला रोमांचक है सभी राजनीतिक पंडित, मीडिया, नजरें गड़ाए हुए है यह देखने के लिए कि ऊँट किस करवट बैठता है।
प्रधान मंत्री मोदी ने संभवत: पहली बार रोड शो किया है और ७ किलोमीटर की यात्रा तीन घंटे में तय की है। सड़क के किनारे खड़े लोगों का आशीर्वाद लिया है। अभीतक मुस्लिम समाज की टोपी से दूरी बनाते हुए उसके द्वारा दी गई चादर को सर के ऊपर रखकर सहिद्रयता दिखाई है। एक मुस्लिम मतदाता का तो यहाँ तक कहना है कि अब शायद टोपी को भी स्वीकार कर लेंगे। समय आदमी से कुछ भी करा लेता है। अब वे कट्टर हिंदूवादी नेता नहीं है बल्कि भारत जैसे देश के प्रधान मंत्री हैं।
क्योटो का दृश्य (आँखें बहुत कुछ देखती है) एक कविह्र्द्य मित्र की प्रतिक्रिया  
समस्त क्योटो वासी प्रसन्न दिख रहे हैं। उनके सम्राट जो नगर की यात्रा पर आये हैं। प्रत्येक घरों में उत्सव का माहौल है, घर-घर घी के दिए जलाये जा रहे हैं, तोरणद्वार सजाये गये हैं अपने सम्राट के अभिनन्दन के लिए। प्रत्येक घरों में घी के पकवान बनाये जा रहे हैं। महलों एवं मकानों की शोभा देखते ही बनती है। प्रत्येक मकानों में रंग-रोगन करवा दिए गए हैं। रथ समतल सड़कों पर दौड़ रहे हैं, महिलाएं मंगल-गान कर रही हैं। ऐसा दृश्य कि देखकर आँखों को सुकून मिलता है । नदी तट पर नाविक अपनी नौकाओं को फूलों से सजा रहे हैं। उन्हें प्रतीक्षा है कि उनकी नौका में सम्राट बैठकर उन्हें धन्य कर देंगे। बच्चे रंग-बिरंगे परिधानों में घूम रहे हैं, क्रीड़ा कर रहे हैं। सड़कों पर इत्र का छिड़काव कर दिया गया है।
आखिर ये सब हो भी क्यों ना?? सम्राट ने अपनी सत्ता प्राप्ति के बाद इस शहर को स्वर्ग जो बना दिया हैं। मैं भी इन क्योटो वासियो को अपनी बधाई देता हूँ ये कहकर कि सबकी किस्मत में ऐसा सम्राट नही होता। धन्य हैं ये समस्त क्योटोवासी जिनको ऐसे सम्राट की छत्र छाया मिली है! – आभार कविकुल श्रेष्ट!
अखिलेश यादव का पहला नारा था – काम बोलता है! फिर जब कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ तो कहने लगे – यु पी को ये साथ पसंद है! फिर बाहरी बनाम भीतरी का कार्ड खेला। प्रधान मंत्री भी विकास से कब्रिस्तान और श्मशान पर आ गये, जिसे लोग ध्रुवीकरण की राजनीति मानते हैं। अखिलेश की पोल खोलते रहे, हर चुनावी सभाओं में। अखिलेश भी प्रधान मंत्री को  जवाब देते रहे, अपनी जनसभाओं में। भाषा की मर्यादा, पद की मर्यादा, तार-तार हुई। पर किसी को कोई पछतावा नहीं हुआ। दोनों संवैधानिक पद पर विराजमान हैं। मायावती ने अपनी भाषा की गरिमा कायम रक्खी। मीडिया भी मायावती को कम तरजीह देती रही है। मीडिया के अनुसार अखिलेश और मोदी में मुकाबला है। कुछ लोगों का मानना है कि मायावती के वोटर शांत और एकजुट हैं। अखिलेश और मोदी के वोटर असमंजस में दीखते हैं। मोदी मन्त्र से काफी लोग मुग्ध हैं। कुछ अखिलेश को यु पी के विकास का प्रतीक और ईमानदार युवा नेता बतलाते हैं। अब यह तो ११ मार्च को ही पता चलेगा कि जनता जनार्दन क्या चाहती है! सबकी नजरें यु पी के चुनाव परिणाम पर केन्द्रित है। यु पी के चुनाव परिणाम से देश और राज्य के भविष्य का फैसला होना है।
अगर काम बोलता है तो इतना बोलने की जरूरत क्यों पड़ रही है। प्रधान मंत्री भी बहुत बोलते हैं! रोचक अंदाज में बोलते हैं, इसलिए भीड़ को आकर्षित करते हैं। वैसे अखिलेश की सभाओं और रोड शो में भी भीड़ दीखती है। क्या भीड़ स्वत: प्रेरित है या येन-केन प्रकारेण जमा की जाती है! मेरा मानना है जितना खर्च प्रचार में होता है उसका आधा भी धरातल पर काम करने में होता तो भारत का आज रूप ही दूसरा होता। पर हम सभी किम्कर्तव्यविमूढ़ सा देखने को मजबूर हैं। चाहे नोटबंदी की त्रासदी हो या बैंकों के मनमाना शुल्क, पेट्रोल सहित वस्तुओं के बढ़ते दाम हो या कानून ब्यवस्था की स्थिति। कोई भी राजनीतिक दल पूरी तरह पाक-साफ नहीं है। सब कुर्सी चाहते हैं और कुर्सी का लाभ लेना चाहते हैं। जनता का भला चाहते होते तो मतदान का प्रतिशत इस तरह गिरता न जाता खासकर उत्तर प्रदेश में। ज्यादातर जगहों में मतदान का प्रतिशत बढ़ रहा है तो उत्तर प्रदेश के अंतिम चरणों में मतदान का प्रतिशत गिर क्यों रहा है। या तो लोग मान चुके हैं कि उनका कुछ भला नहीं होनेवाला है। फिर क्या फायदा वोट देने का। ये उदासीनता अच्छी नहीं है हमें जन भागीदारी दिखानी चहिए मतदान के समय और बाद में भी। आप को अंधों में काना राजा का ही चुनाव करना है! अच्छे लोग चुनाव नहीं लड़ते, अगर लड़ते हैं तो जीत नहीं पाते क्योंकि उनके पास प्रचार करने को उतने पैसे नहीं होते! जो दिखता है वही बिकता है!
आइए लोकतंत्र के इस पर्व में सक्रियता दिखाएँ अपनी पसंद के नेता का ही चुनाव करें यह आपका कर्तव्य है! जय लोकतंत्र! जय भारत!

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर।